खिस्साः   डस्या ओ डसा 

खिस्साः डस्या ओ डसा 

१०८३ दिन अगाडि

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९ असोज २०७९

 ३ गजलः हमार आन्डोलन लुहाकअस अरगर...

 ३ गजलः हमार आन्डोलन लुहाकअस अरगर...

१०८४ दिन अगाडि

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८ असोज २०७९

१ हमार आन्डोलन लुहाकअस अरगर हुइटि जाइटा मल ओ पानी पाइल धानअस फरगर हुइटि जाइटा पैल्ह डुर डुर कटि भगुइयन जो लग्गु लग्गु आइ लग्ल मैल छुटल उहमार झन् जोरसे डरगर हुइटि जाइटा किरा काँटि लग्ना कलक लरम उ फुलम केल्हि हो मिर्चा छिपल नि पटिना  अस झरगर हुइटि जाइटा आप रुइ नि परि डाइ टुहिन, नि रुइ परि बाबा टुहिन हमा नेङ्लक डगर लड्याअस सरगर हुइटि जाइटा । २ बुढ्यार मनै असिन सँस्छ्वार बन नि सेक्बो क्वारम लेके ढिरसे कलो म्वार बन नि सेक्बो टुहिन ट मै मजा मनै सोच् रख्नु फुरसे हो म्वार मन चोर्क बरभार च्वार बन नि सेक्बो मै लुहाक हुइटु टुँ माटी पटा हुइ जे टुहिन लुहाक लुहाकसे ज्वाँटट् ज्वार बन नि सेक्बो जाउ जाउ उहँ जाउ जहाँ बा टुहाँर खुसि छोर डेउ टुँ म्वार खुसिक ड्वार बन नि सेक्बो । ३ छावा भुँख्ल बा कि, अघ्घाइल ? डाइ कठि लुगाबार कट्वा पाक डुख पाइल डाइ कठि  टुँ पो डिनभर डारु पिक सन्झ्या  पसर रठो, का हुइलिस  छावा, नस्से खोँखाइल डाइ कठि जन्निह मौररि डिह नि सेक्क राटभर भर रुइट, छावा म्वा मैयाँ लाग्क आँस चुहाइल डाइ कठि आपन माउँ ह समझ्क अँट्वम बैसल रह उ, छावा महि समझ्क सज्ना गाइल डाइ कठि म्वार भाग्य ओसहँ होक डुख पैलक हुइटु फुरसे, नि कि छावक मन नि हुइस कट्कटाइल डाइ कठि ।  

राष्ट्रपति के हाँठसे पुरस्कार पक्रेबेर खुसिके हल्कोरा

राष्ट्रपति के हाँठसे पुरस्कार पक्रेबेर खुसिके हल्कोरा

१०८९ दिन अगाडि

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३ असोज २०७९

शर्मिला सृष्टि सबसे पहिले नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानहे बहुट ढेर धन्यवाद बा, जे नेपाल प्रज्ञा मातृभाषा (थारू) साहित्य पुरस्कार २०७९ तराई मधेसमे बोल्ना मातृभाषा साहित्यके लग महिन फे एक लाख राशीके रकमसे सम्मानित करल ओरसे । सम्माननीय राष्ट्रपति विद्या भण्डारीके हाँठसे पुरस्कार पक्रेबेर खुसिके हल्कोराके साथसाथे माननीय संस्कृति पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मन्त्री एवम् नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानके संरक्षक जीवनराम श्रेष्ठप्रति आभारी बटुँ । ओस्टक कुलपति गंगाप्रसाद उप्रेती, उपकुलपति डा जगमान गुरुङ सदस्य सचिब प्राध्यापक जगतप्रसाद उपाध्याय हुकहनके झङ्झङ्ग्यार छहुँरिके बिचमे दोसल्ला डडुरे डडुर बधाई पाके गड गड बटुँ ।  महिनहे साहित्यके फँटुवामे दौडधुप कर्ना अपन साहित्यक कलमहे टिस्लार पर्ना जरुरी लागल वा । कर्मके फल एक ना एक दिन जरुर मिलठ । पेरुवा लगैबो टे एकदिन जरुर फल लागठ् । आज मै आपन कर्मके स्वाद चिखे पाइल अनुभूति करले बटुँ । ठोरचुन मोरिक साहित्यक पहुरा मनके फुला (२०६२), दुःखके हल्कोरा  (२०६४) प्रकाशन हुइल बा । साथसाथे कथा, कविता, नाटक आउर फे बिधामे कलम चलैले बटुँ मने प्रकाशनमे नै नन्ले हु । यी मै आपन बहुट वरवार कमजोरी मानटु । यी पुरस्कार आज महिन अप्रकाशित कृति झट्टसे झट्ट निकरना कहिके मन झक्झकुवाइटा । महिनहे साहित्यके फँटुवामे दौडधुप कर्ना अपन साहित्यक कलमहे टिस्लार पर्ना जरुरी लागल वा । कर्मके फल एक ना एक दिन जरुर मिलठ । पेरुवा लगैबो टे एकदिन जरुर फल लागठ् । आज मै आपन कर्मके स्वाद चिखे पाइल अनुभूति करले बटुँ । महिनहे साहित्य लेखनमे सहयोग साथ डिहुइया महानुभाव हुक्र, बिलाइल जुनिमे किताब छपाइक लग छपाइल बेलामे आर्थिक सहयोग डेहुइयनसे लेके मोरिक सहित्यक फँटुवामे आगेपाछे सहयोग साथ करुइया सक्हुनहे धन्यबाद डेहक चाहटुँ । अइना दिनमे आपन भाषा संस्कृतिके अखुवारी करनाके संग सगे मोर थारु जाति समुदायमे रहल अन्धविस्वास, फटरङ कुरीतिहे उजाभङ्ग कराक लग अपन साहित्यिक कलमहे चलैबु कना सोच्ले बटुँ । नेपाल प्रज्ञा मातृभाषा साहित्य पुरस्कार पाके आज फेरसे मोर साहित्यक फुलरियामे छलाङ्ग मारडेले बा । पुरुस्कृत होके मोर मन आव कुछ करे परल कहिके थप बलबुटाके साथ कुलबुलाइटा । पुरस्कार डेहेवेर सहि मनैन हे छाने सेक्लेसे संस्थाके ओ ब्यक्ति डुनु जहनके लेखुइयक ओ डेहुइयक अर्थ रहट । नै ट कि अर्थ न तीर्थ । यी चिज नै हुइ कना मोर हरबड्डा बा । यी पुरस्कार पाके मिहिनहे ऐसिन अनुभूति हुइटा कि करल कामके मै पुरस्कार नै पैले हु कि अइना दिनमे कुछ करक लग मै पुरस्कृत हुइल बटुँ ।  साहित्यक टिपुन्नीमे अकेली एक्चोट्टे नै पुगे सेक्जाइठ । यी चिज मै खिडोर बिडोर करके बरी ध्यान नजर करके हेरले बटुँ । उपर चह्र्रेबेर खढ्ढुके फेन ओत्रै भारी देन रठिस । बिना खढ्ढुके मनै उपर चउह्रेबेर कर्रा परजाइठ । ओस्टके महिन फेन उपर बह्र्रेबेर बहुट जाने अपन हाँठके खढ्ढु बनाके उप्पर चहरना हौसला डेले बटै ।  आज मोर मनमे ऐसिन अनुभूति हुइटा कि मोरिक साहित्यिक हरेक पाइलामे सहयोग हौसला सुझाब डेहुइया मनके धनी धनवान हुकन फे मै पुरस्कार पाके ओत्रै खुसी लागट हुइहिन । अइना दिनमे फेन हजुर हुकनके सुझाव ओ साथ लेके मै आगे वह्रे सेकु कना अस्राके डगरमे बोटिया हेरके बैठल बटुँ । 

जितिया पावन बड्या भारी

जितिया पावन बड्या भारी

१०९१ दिन अगाडि

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१ असोज २०७९

जितिया पावनके बारेमे आम कहावत छे, “जितिया पावन बड्या भारी, धियापुताके सुताके अपना लेलके भोरी थारी । नेपालके पुर्वी तराईमे थारु समुदाय लगायत अन्य समुदाय जितिया पावन मनछै । खास करिके बिबाहित महिलाना यिटा पावन मनछै । यिटा पावन आपन सन्तानके दीर्घायु हे सुस्वास्थ्यके कामना करते ब्रत करछे । जितिया के सामान्य अर्थमे जितिके यल, जितेवला हेछे । जितियामे जलम लेल बच्चाके नाम जितुवा या जितनी राखछै । जे बच्चा बरियदरिय हेछे हे खेलमे जितले रहछे जनत वखरु जितुवा, जितना कहछै ।  आसिन कृष्ण पक्ष (पितृपक्ष) के सतमी, अष्ठमी, नवमी तिथिमे बिबिध कार्यक्रम करिके जितिया पावन मनछे । यिटा पावनमे माता आपन सन्तानके सुस्वास्थ्य हे दीर्घायुके कामना करछे । यदि सनि दिन या मंगल दिन अष्टमी तिथि परलासे खरजितिया कहछे । खरके शाब्दिक अर्थ कडा, कठोर, कठिन हेछै । सतमी मे नहाय खाय, अष्टमीमे उपासल रहे, तव नवमीमे पारण समापन करछे । तीन दिनके कठोर ब्रत हेलके कारण खरजितिया कहछै । सामान्यतः तिथि मुताविक जितिया दुइ दिनके हेछे । ओटगन, उपास, पुजन हे पारणः सतमी दिनसे घर येङन साफ सुथरा करिके शुद्ध तरिकासे बिबिध पकवान बनछे । तालपोखर या लदीमे पितृ सासके केला पतामे खौरतेल चढछे हे स्नान करिके घर यछे । बिहान भिनसरमे दही, चुडा, केला वा माछ भात, रोटी जे तयार करल रहछे, ओटगन खेछे ।  सतमी मे नहाय खाय, अष्टमीमे उपासल रहे, तव नवमीमे पारण समापन करछे । तीन दिनके कठोर ब्रत हेलके कारण खरजितिया कहछै । सामान्यतः तिथि मुताविक जितिया दुइ दिनके हेछे । ओटगनमे ओलके तरकारी, माछ, मडुवाके रोटी कोनो कोनो घर परिवारमे अनिवार्य मानल जेछे । ओट के अर्थ लोक्याके, कोइनि देखे हेछे । सवकोइ सुतलेमे कोइनि देखे, ओटलागिके खानपान करलके कारण ओटगन कहछे । सतमीके रात घरके छतमे या छप्परके चारो कोनमे दही, चुडा, केला आदि पकवान केला पतामे राखिके भगवान जितमहान, पितृ, चिल्हा (गरुड), खटिया आदी देवताके निमन्त्रण लगिन चढछे ।  अष्टमीके दिन उपवास बैठल ब्रत करनीना बिहान स्नान करिके, शुद्ध बस्त्र हे सिङ्गार पटार करिके भगवान जितमहान, पितृ, गरुड, खटियाके बिधिवत पुजा करछे । घरमे बनल प्रसाद, फलफुल चढछे । चिराख पुजारीके धुपदिप देछे हे जितिया ब्रतके कथा सुनछे ।  ब्रत करनिना लाल सिनुर पिन्हिके शुभ संकेतके रुपमे जितमहान, गरुड, खटियाके लाल सिनुरके टिका लग्या देछे । पितृके चह्रल प्रसाद घरके आदमी नय खेछे । नवमीके दिन हेठपहरा पुजा समापन (पारण) करिके मूर्ति बनल छे, जनत बिसर्जन लदी, पोखरमे करछे । मूर्ति बनल नय छे, जनत प्रतिमा स्थापना करलनाके जलप्रवाह करछे । घर परिवारजन, इष्टमित्र मिलिके प्रसाद ग्रहण करछे । ब्रत करनीना आपन खुसी भोजन, प्रसाद ग्रहण करिके ब्रत समापन करछे । जितिया ब्रत कथाः महाभारत लडैमे गुरु द्रोणाचार्यके छल करिके पाण्डवना मारल की छल सेहास वकर बेटा अश्वत्थामा बदला लेवे लगिन पाण्डव वंशके संहार करेके प्रतिज्ञा करलकि छल । महाभारत लडै ओरली तव एक राती अश्वत्थामा पाण्डवके शिविरमे पैंसीके पाण्डवके पांचोरा बेटाके मारी देलके ।  मतर अभिमन्यु पत्नी उतरा गर्भवती रहेक, तव ब्रह्मास्त्र फेकिके गर्भ गिरावे चाहलकी । भगवान श्री कृष्ण वकर गर्भके रक्षा करलके मतर, जव समय पुगलि त मृत पुत्रके जलम देलके । मतर भगवान श्रीकृष्ण उटा मृत बच्चाके जिवित करिदेलकै, सेहास जिवित पुत्रिका नाम रहले । मृत्युसे जितिके यल कारण से जिवितपुत्रिका कहते कहते जितिया हेले । पाछु वेहा राजा परीक्षित नामसे जानल गेलै ।  वहिने दोसर कथामे गन्धर्वराज जिमुतवाहन नामके बड्खा प्रतापी, धर्मात्मा हे त्यागी राजा रहेक । वकर मातापिता बृद्ध अवस्थामे राजपाट त्यागिके वनप्रस्थ तपस्या करे गेले, सेहास जिमुतवाहन मातापिताके सेवा करे वनमे गेले । वतेकरा नागमाता के दुखित हे कानते देखिके जिमुतवाहन वकर दुःखके कारण पुछलके ।  नागमाता कहे लागले, हे देख, हमे नागके माता छेकिन । पंक्षीराज गरुड महर सवना बच्चा नागके संहार करे लागले सेहास बच्चानाके जिवित राखे लगिन । हरेक दिन एकटा नाग (सांप) गरुडके भोजन करे देवे परछे । आजु हमर बेटा चंखमुण्डके पला छेके । बेटा चंखमुण्डके मायाके कारणसे हमे दुखित छिन हे कानछिन ।  तव राजा जिमुतवाहनके दया लागले हे कहलके, हे देख माता, मन कानरोव आजु हमे गरुडके भोजन हेवे । हे बस राजा जिमुतवाहन लाल चादर होडीके सुति रहले । पंक्षीराज गरुड जी वकरा झपटीके नोहमे लटक्याके पहाडमे ल्यागलके । आर बेर सांपना सकबक करेक मतर यिवेर सकबक नय करलके कारण वकरा पुछलके । तव राजा जिमुतवाहन सवना कथा सुन्या देलकै ।  जिमुतवाहनके त्याग, बलिदानसे गरुड राज कहलके, हे राजन, जिमुतवाहन आजु दिनसे नागके बालबच्चानाके नय मारओ बचन देलके । वेहा दिनसे नागमाता सन्तानके जिवित राखे साकलके । सेहास जिमुतवाहन से जितिया पावन हेले कथामे छे । तेसर कथा थारु समुदायमे प्रचलनमे छे । एक समयके बात छेकी दय सोमती हे बहिन बेमती रहेक । दोनो मे मिलान असले रहेक मतर सोमती असल बिचारके रहेक जनत बेमती आपने मतिमे चलेक। सेहास श्रापके कारण दिदी सोमती गिधिन, बहिन बेमती खटिया हेलीछल । कनचनवटी राजमे मलयकेतु राजा रहेक हे नर्मदा लदीके बलथरीमे बडकी पांकरके गाछ रहेक हे वेहारा गाछीमे गिधिन हे धोनरीमे खटियाके बास रहेक ।  एक दिनके बात छेकी । जलनाना डाली बोकिके स्नान करे यले हे बहुत प्रेम भावसे पुजा करते गिधिन हे खटियारा देखलके । तव पुछलके, तोरा का कुन करछे । जलनाना जितिया पावनके बारेमे बतलके। बोखरुका दोनो बहिन जितिया पावन करे लगिन प्रण करके।  सतमीमे ओटगन खेलके अष्टमीमे उपास रहले । बेहा अष्टमीके दिन सहरके बडका बेपारीके मृत्यु हेलै हे । वेहारा पाकर गाछ लगत नर्मदा लदीके भितामे गाडि देलके । खटिया दिनभर उपासलके कारण जब रात हवेक, तब खटियाके भुख सतावेक, हे खिटियाके रहल नय गेली, राती के देखती कहिके मुर्दा ख्याके छुधा तृप्त करलके । मतर गिधिन धैर्य धारण करिके जितियामे उपासे रहलै । कुछ दिन वाद गिधिन हे खटिया मोरले, तव फेन वेहारा कनचनवटी राजमे मानुस तनमे जलम लेलके । दोनो बहिन मे दिदी गिधिनके नाम शिलवती हे बहिन खटियाके नाम कपटबती (कपुरावती) राखलकी । दोनो बहिन जहिने बाढने जैक वहिने एकसे एक सुनरी हेली । सिलवतीके बिहा साधारण परिवारमे हेली हे सातरा बेटा हेले । बेटाना बाढने गेली । सबकोइ इमानदार, कर्तब्य परायण रहेक सेहास राजा मलयकेतुके दरवारमे काम करे लागले ।  कपटवतीके बिहा राजा मलयकेतुसे हेली मतर वकरा बच्चा जलम लेते मातर मोरी जैक । वकर सातोरा बच्चा जिवित नय रहले । यिटासे रानी कपटवतिके बढिने डाह उठली हे शिलवतिके सातोरा बेटाके मुडी काटीके धररा माठमे कसिके लाल बरथीसे मुख बान्हीके शिलवति कते पठ्या देलके ।  शिलवति भगवान जितिया पावन करेक सेहास भगवान जितवहान सातोरा बेटाके माटिके मुडि बन्याके जोडी देलके हे अमृत छिटिके जिवित करि देलके । उमहर कपटवती शिलबतिके बेटाना मोरल खबर सुने लगिन, छटपट करेक मतर जिवित हेल खवर पेलके । काटलना मुडी सरिफा फलमे बदलि गेले । तव हारी हदियाके कपटवति पुछते पुछते शिलवतिके घरमे पुगली । शिलवति बहिन कपटवतिके पुर्व जलममे कथा फम कर्या देलकै, ते खटिया छेलै, हमे गिधिन । जितिया पावनमे तें उपास तोडले सेहास तोर बेटा एकोटानी रहलो हमे उपास नय तोडनी वकरे प्रतिफल भगवान जितमहानके कृपा से  हमर बच्चाना जिविते छे । कपटवतिके पुर्व जलमके बात झलझल फम परले हे वेहा ठिन प्राण त्याग करलके । जितिया ब्रत कथाके शिक्षाः   निष्ठासे कर्म कर भगवान फल देवे करतो । असल कर असल हेतु, खराब कर खराब हेतु। छलकपट करलासे दुख पेवा । सन्तानके रक्षाके लगिन हर प्रयास कर । धिरज बानलासे असल फल परापत हेछे। शिलवति (सोमती) ढवक असल मतिमे रह। कपटवती (बेमती) ढवक बेमतमे मत रह। आपन संस्कार, बोलीचाली, शिलस्वभावमे स्थिर बरीके रह । कुल धरम संस्कारके पुस्तानान्तर करे लगिन सन्तानके रक्षा करना हे असल शिक्षा दीक्षा देना चाही । बर्तमान अवस्थामे जितिया पावनः  जितिया पावन अखने संक्रमण कालसे गुजरी रहलेस । एक महर आधुनिक तामझाम से प्रभावित छि जनत दोसर महर आपन मौलिक संस्कार संस्कृति औडमे परिरहलेस । दोसर समाजके चमक दमकसे प्रभावित हे देखासिखि करि रहलेस । अखने जितिया पावन तीन तरिकासे मनछै। जितिया महोत्सव  जितियाके पावन खुसियाली ढवक थारु मौलिक खानपिन हे मनोरन्जनमे बिशेष जोड देलकेस । बिशिष्ट आदमीके बोल्याके सजधजके साथ भाषण बेसी पावन कम बुझछै । आर्थिक रुपमे मांहग छे। जितिया सांस्कृतिक कार्यक्रम  जितिया पावनके अवसरमे थारु कलाकारना नाचगान हे मनोरन्जनमे बेसी जोड देलछे । बौद्धिक विकासमे कम जोडबल करछे। विशेष करिके युवा पिढि बेसी लागल छे । आर्थिक रुपमे मांहग छे।  जितिया पावन हे ब्रत  थारु समुदायमे अज्ञानता हे पुस्तानान्तरके कमिके कारण जितिया पावन मौलिक रुमे कुछ परिवर्तन हेलछे । जितिया ब्रत कारेवाली महिलाना जितिया ब्रत करिरहलेस। यिटा पावनके सामुहिक रुपमे सांस्कृतिक रुपमे आगु बढना जरुरी छे । ब्रतमे घरपरिवारके सहभागिता बाढछि जनत पावनके रुपमे स्थापित हेछे ।   इटहरी–१२, खनार, सुनसरी

कन्द्रा आन्दोलनका  कडा क्रान्तिकारी रेशम  बहादुर चौधरीको देहावसान

कन्द्रा आन्दोलनका  कडा क्रान्तिकारी रेशम  बहादुर चौधरीको देहावसान

१०९४ दिन अगाडि

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२९ भदौ २०७९

                                                                                                              रेशम बहादुर चौधरीसँग लेखक शेखर दहित एक थारु जोधा (योद्धा) रेशम बहादुर चौधरीको २०७९ भदौ २९ गते देहावसान भएको छ । बर्दियामा उहाँको नाममा रेशमपुर गाउँ बसेको छ । उहाँ ज्ञानको खानी हुनुहुन्थ्यो । थारू भाषा, लोककला,संस्कृतिका ज्ञाता हुनुहुन्थ्यो । बर्दियाका कन्द्रा आन्दोलनको योद्धा जसको अथक कोशिसले भूमिहिन कमैयाहरू ओत लाग्ने जमिनको टुक्रा पाएका थिए।  मेरो थारू जोधाको एक सशक्त पात्र हुनुहुन्छ ।उहाँ बिरामी भएको थाहा पाएर भेट्न जाँदा उपहार ‘थारू जोधा’ पुस्तक  दिएको थिएँ।आफ्नो फोटो देखेर भक्कानिनु भयो । उहासँग फेरि भेट्ने बाचा गरेको थिए, कोईलाबासको बारेमा बुझ्न खोजेको थिएँ । ईच्छा अधुरो भयो। प्रस्तुत छ, थारु जोधा (२०७८) पुस्तकमा मैले उहाँबारे थारु भाषामा लेखेको लेखको सम्पादित अंशः कन्द्राके कर्रा क्रान्तिकारी रेशम     कन्द्रा आन्दोलनके बाट निक्रटि कि मनै बर्दिया जिल्लाह झल्झल्ह्यट सम्झठ । ओट्रकेल नाहि, कन्द्रा आन्दोलनके कारनसे सरकार ६५ जिल्लम भूमि सुधार व्यवस्था लागु कर्ना बाध्य हुइल रह । जहोर हेर्लसे फे घनघोर, चाक्कर, एकदम झब्स्यार बन्वा । बहुट कम साक्किर–साक्किर डगर, चारुवरसे लड्या–खोल्ह्वासे घेरल बर्दिया । दाङसे आपन जहान पर्यार भगा–भगा लानल रैतिन कहाँ सुख रल्हिन जे ? जिम्दारिनके मौजा कैख चिन्हठ बर्दिया जिल्लाह । ढ्यार मौजा राणाहुक्र जिरायत, बक्सिस पैल रल्ह । अनाजक भुखाइल हरकोइ जिम्दार सहजे पेट भर्ना ठाँट कलक बर्दियाह जो निशाना बनाइठ ।     हुइना ट आज फे बर्दिया राष्ट्रिय निकुन्ज (पहिलक शाही बर्दिया राष्ट्रिय निकुन्ज) ओ जिल्ला बन कार्यालयक बन्वा मिलाख बर्दिया जिल्लाके कुल क्षेत्रफल ५८ प्रतिशतसे फे ढ्यार बन्वक क्षेत्रफल रह । उह ब्याला बर्दियक ८० प्रतिशत जट्रा ठाउँ भर घन्घोर झबस्यार बाघभाल लग्ना बन्वा रह । देश विदेशसे बर्दिया जिल्लाम रज्वा, रजौतन सिकार ख्याल बर्दिया आइठ । राणा जिम्दार बर्दियक जंगली जनावरके शिकार खेल्क पर्चल रल्ह । सायद ओहओर्से हुइ, बर्दियाह शिकारिनके लाग स्वर्गभूमि कैख कहठ । सड्डभर बर्दियक जिन्वारके सुख्ठी खाक पर्चल जिम्दार अभिन फे किउ बर्दियासे काठमाडांै गैल भेटैलसे आब सुख्ठी मिलट कि नाही कैख जरुर पुछ्ठ ।      खास कना हो कलसे बर्दियक फर्गर ओ मल्गर माटी, जहोर टहोर चाक्कर फँट्वा केल बिल्ग । उप्परसे स्वाझ थारून डक्ल्या–डक्ल्या फ्वाँसे काम लगाइ पैना ओर्से सारा जिम्दर्वन बर्दियाह आँख लगैल रल्ह । कुल्वाभर्वा, पानीक फे महामजा सुबिस्टा रह । पच्छिउ ओर कौ¥यार (कर्णाली) पुरुबओर गेहर््वा (गेरुवा), दंगलड्या, ओरै खोल्ह्वा (ओराही) बुहर््या खोल्ह्वा (बुढी खोला), बबई लड्यक पानीसे खेतीपाती, रब्बिपाट मन्के फर्ना ओर्से सारा जिम्दार बर्दियम आँखी लगैल रल्ह । जट्टीक कलसे बर्दिया जिल्लाह नेपालके अनाजक बख्खारी कलसे कौनो फरक नैपरि । सारा नेपालीन बर्खाभर पाल सेक्ना अनाज फर्ना ठाउँ रह बर्दिया । मेहनती थारू किसान यी माटिह मल्गर करैल । बाघभालसे लरभिरके फँट्वा चाक्कर पर्ल । आपन रकट पस्ना चुहा–चुहा माटीह फर्गर करैल । सक्कु मौजम लिरौसीसे पानी लग्ना कुल्वा भर्वा सारिसा बेठबेगारी कैख पानीक सुविस्टा बनैल रल्ह । दिन पाख लगा–लगा डेसाहुर गैल । लड्यक  पाँख झर्ल, खेट्वम पानी चर्ल ओ अनाज फरैल । आपन जहान पर्यारके पेट भर्ल, जिम्दारिन पल्ल । ओइन्क खातिरदारीम आपन जिउ न्यौछार कर्ल ।     हुइना ट जिम्दारि प्रथा बर्दियम केल नाहि, बल्कि जिम्दारी सामन्ती प्रथा नेपाल नेपाल भर सक्कु ओर छिट्कल रह । खास कैख, तराई, मधेसके पुरुबसे पच्छिउँटक सब ओर जिम्दारनके जगजगी रल्हिन । ओस्टक छिमेकी देश भारतम फे जिम्दारि प्रथा मन्के चलल रह ।     दिनभर पसपौह्वनह हर जोट्ख पेटभर सानी बुसा, सुखल पैंरी–पंैरा ट खवा जाइट, थारू किसान, कमैया, बुक्रहिन पेटभर अनाज खैना सिहनी रल्हिन् । मर मर रात दिन पस्ना रकट माटिम मिलाख फराइल रब्बिपाट, अनाज बाली जिम्दर्वन सब सिमोट लिहै । कुछ बोल्लसे जिम्दार, कमैयन उप्पर बन्ढुक डाग डेम कैख धम्काइठ । विचारा थारू किसान, कमैया, जालम परल मच्छिहस रल्ह । ना ट कहु जाइ पैना, ना ट उप्पर नाक कैख फोँफरसे साँस लेह पैना । एकठो निरंकुस, तानाशाह शासन जिम्दर्वन चलैल रल्ह ।  जिम्दार आपन आपन मौजम कमैयन कजैना जुम्मा फे पैलक ओर्से हुइ कमैया, किसान, रैतिन काम अह्रैना, बेठबेगारी लगैना, आपन स्यहार सुसार करक लाग कम्लहर््या ढर्ना, बुक्रहि, सुसारी सब ढर्ल रल्ह ।     जिम्दारिनके खेट्वा जोट्लसे रैतिन साहबर्खा बेठबेगारी करक पर्ना रल्हिन । ओइन्क स्यावा सुसारके लाग आपन जवान जहानी छाईन कम्लहर््या लगाइक पर्ना रल्हिन् । जिम्दर्वक फर्माइस अन्सार टरटिउँहारमे घरम पालल छेग्रि भेंरि, मुर्गिचिङ्गना फे डेहक परिन । ओइन मनखुसाइक लाग घरम पालल् चिजबस्टो नैडेलसे जिम्दारिनके गारिभुवा ट पलि बा । ढ्यार सटावा पाइठ । रैतिनसे कुछ काम टर उप्पर, डाहिन बाँउ हुइलसे खुँटम बहान्ख कोर्रासे नङ्गट पिठी पोघाइठ । उ ब्याला रैतिन आपन जवान जहानिया छाई, पटोइह्यन जिम्दर्वनके लजरसे बचैना मुश्किल परिन । सोझ कलसे, जिम्दर्वन दिन रहटि ढुँरडेहट । डाईबाबन्के साम्ने बलजब्री गोचाली भिरलेहठ । विचारा निब्बर रैतिन आँस चुहैना सिवाय कुछ उपाय नैरल्हिन् । आपन भागहे खोब सरापट ।     उ ब्याला बाँके, बर्दिया, कैलाली, कन्चनपुर अवध राज्यसे नेपालह विर्ता डेहल ओर्से जिम्दारिनके दुव्र्यवहार फे व्रिटिश भारतक जिम्दारिन जस्टह रल्हिन् । लगभग १३५ वर्ष पहिल यी थारू बसाइ रहल जिल्ला अवध राज्यक एकठो हिस्सा रह ।     उ ब्याला बाँके, बर्दिया, कैलाली, कन्चनपुर अवध राज्यसे नेपालह विर्ता डेहल ओर्से जिम्दारिनके दुव्र्यवहार फे व्रिटिश भारतक जिम्दारिन जस्टह रल्हिन् । लगभग १३५ वर्ष पहिल यी थारू बसाइ रहल जिल्ला अवध राज्यक एकठो हिस्सा रह ।  बर्दिया, बाँके, कैलाली ओ कन्चनपुरके जिम्दारिनक सम्बन्ध अवधके जिम्दारिनसे खोब मिलिन । अबध राज्यके लखनउ, बहराइच, नानपारा, गोन्डा, टिकुनियक मुसरमान, हिन्दु जिम्दारिनके बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कन्चनपुरटक भारी भारी मौजा रल्हिन् । आब ओइन्क पहिलक जस्टह जिम्दारि नैरहिगैलिन । कुछ जिम्दारिनके नाउँ भर अभिन ओइन्क नाट नट्कुरिनक भर पलि बाटिन् ।     आपन फाँरल जग्गा, मल्गर कराइल माटी, अप्नह उब्जाइल अनाज, रब्बिपाट, पेटभर खाइ नैपैना, उप्परसे जिम्दारिनके गारीभुँवा, छाइ चेलिन ढुँरडेना, यी सब बाटसे थारून्क भित्र–भित्र मनम आगि सुल्गटि रल्हिन् । कमैया किसान एकजुट हुइटि रल्ह । थारू अग्वा सब निहत्था, बेसहारा कमैयन गोलबन्द करटल्ह ।     देश भर कमैयन, किसानन् जिम्दारिनसे भिरक लाग हौस्यार हुइटि रल्ह । गोलबन्द कर्ना व्याला बर्दिया भरिक १४ फाँटक अग्वा, कमैयन जिम्दारिनके विरोधम लर्ना बल जुटैटि रल्ह । गरिब, बेसहारा, दुखी कमैयन, जिम्दर्वन काम छोर्क जुट्ह्यालम फे जाइ नैडेना ओर्से कमैयन भिट्टर–भिट्टर गुरुस गुरुस रिससे उट्मुटैटी रल्ह । सक्कु कमैयन, अढेर्वन सहज जुटना कलक कन्द्रा गाउँ जो रल्हिन्, जौन आज्कल बर्दिया जिल्लाके मधुवन नगरपालिकाम परट ।     कन्द्रा गाउँ थारून्क ऐतिहासिक गाउँ हो । यि ठाउँ थारू लोक खिस्सा हिट्वक खिस्सासे फे जोर्के बटैठ अघट्यक पुर्खावन । हिट्वा आपन बाँरी गैया चह्राइबेर कनक रोटी लेक ओह कन्द्रम जाइट हुँ । सब गयर्वन एक पाँजर होजाइठ हुँ । बिचारा हिट्वाह भर हिगार डेहठ हुँ । अकेली सक्कु गैया गोरुन ओह कन्द्रम बैठक ख्यारठ हुँ ।     कन्द्रा आन्दोलनके जोधन कन्द्राह ऐतिहासिक एकदम फापल ठाउँ हो कठ । यी ठाउँसे आन्दोलन सुरु कर्लसे जित पक्का बा कना जनविश्वास अघट्यसे चलल रह । थारू पुर्खन्क ऐतिहासिक माटी, सक्कु ओरसे कमैयन जुट्ह्याला, भेला हुइना एकडम लिरौसी ठाउँ रल्हिन् । जस्टक साँप ओ सँपलिउरी झगरा कर्ठ । डटकर्क फेर्को बुटी सुँघ जैठ, ओस्टक कन्द्रा ठाउँ फे कमैयनक लाग बुटी सुँघना ठाउँ रल्हिन् । चारुओर्से कमैयन, अढेर्वन आपन आपन ढोकरी पोकरी बहान्ख यी कन्द्रम झोप्रीक खुँटा गर्ल रल्ह । ढ्यार कमैयन जिम्दर्वनके लाठीघुसा पाक डट्करल भाग–भाग सन्टाइ ओ आपन मुरीमाठ बचाइ आपन कबिलनसे दुखपिर सुनाइ ओहै कन्द्रम जाइठ । कोनौ जिम्दार भर सौकिहा कमैयन कन्द्रमसे घिस्या–घिस्या आपन सिर्वम लैजाइ खोजठ । टब्बु कन्द्रक कमैयन्क आग ओइन्क कुछ उपाय नैलागिन ।     कन्द्रक कमैया आन्दोलनह आपन मुल राजनीतिक एजेण्डा बनाइक लाग पार्टी फे हौसल रह । उ ब्याला कन्द्रा आन्दोलनम फे ४ पार्टीक झण्डा फर्फराई भिरल रह । कमैया, सुकुम्बासी, अढेर्वनके मुक्तिक लाग उठल आन्दोलन रलक ओर्से पार्टी फे आपन पक्षओर लैजाइक लाग खोब कोसिस करल । एमाले, नेपाली काँग्रेस, छोटछोट पार्टी जनमोर्चा ओ सद्भावनाक झण्डा कन्द्रक झोप्रिम फर्फराइट डेख पर ।     सब पार्टी कमैया, सुकुम्बासीनके माग मुद्दाह उप्र–उप्र साथ सहयोग डेहल करठ । उ ब्याला राष्ट्रिय प्रजातन्त्र पार्टी (राप्रपा) भर कमैयनके लाग कब्बु नाबोलल्, ना ट कमैयनके मुद्दाह कौनो मेरिक ऐक्यबद्धता जनाइल । सक्कु पार्टीसे साथ सहयोग पइटी आइल कमैयन राप्रपासे डिक्याइल रल्ह । ओह झोँक राप्रपाके पार्टी कार्यालय गुलरियम टोरफोर फे कर्ल । पाछ साथ सहयोग डेना आस डेखाइल पार्टी फे आपन स्वार्थ पुरा नैहुना डेख्लक ओर्से रसरस आपन–आपन डगर लाग गैल रल्ह ।     सुरुम कन्द्रा आन्दोलनह साथ सहयोग करुइया गैरथारू फे डेख पर्ल । जग्गाप्रसाद पाण्डे, दिनेश श्रेष्ठ (राधाकृष्ण थारू जनसेवा समाजके अध्यक्ष) लगायतके अग्वन कमैयन्क जुट्ह्यालम कमैयनके पर्गा लेक खोब बम्कल । बाटक फे सिपार रलक ओर्से, बोल्ना, भासन कर्ना, आग टाग कर्ना हुइलक ओर्से जग्गाप्रसाद पाण्डेह कन्द्रा आन्दोलनके अध्यक्ष फे बनैल रल्ह । कन्द्रम बैठुइया सारा कमैयन लेक लुटपाट कर्ना जसिन कामम फे जग्गा प्रसाद पाण्डे उक्सैलक बाट कन्द्रा आन्दोलनके जोधा रेशम बहादुर चौधरी बटैठ । आपन आङ्गक लुग्गा ओ आपन पर्यार भगा–भगा लैगिल कमैयन ठे रासन पानी रना बाट नैरह । बिचारा कमैयन पेटम डाना भरक लाग जे जस्ट सिखाइन, ओकर बाट लिरौसीसे मानलेहठ । बिना सुझबुझ ओकर पाछ गुरगुर–गुरगुर लागजाइठ । रेशमबहादुर चौधरी कठ,“...जग्गाप्रसाद पाण्डे ओ दिनेश श्रेष्ठ लगायतके अग्वन जिम्दारिनके डालचाउर लुट्क गरिबगुर्वनके चुल्हम बट्ना बाटम सब कन्द्रक कमैयन एकमुठ कर्ल रल्ह ।” जस्टक रोविन हुड गरिब गुर्वनके लाग धनी बस्ती लुट्क आनल रासन पानी, असर्फी बाँटठ ।     मर्टा क्या नकर्टा हिन्दी उखानहस, कन्द्रम बैठल सारा कमैयन गोचार्क खैरापुरके प्रधानपन्चके अनाज लुटना सल्ला जग्गाप्रसाद पाण्डेहुकनके रल्हिन् । उ रात सारा कमैयन कन्द्रा बस्ति सुन पार्क खैरापुर प्रधानपन्चक (हालः गुलरिया नगरपालिकाके मेयर किट्टु यादव) घरम लुट गैल रल्ह । ओकर  घरम रहल लाही, मसरी, धान, चाउर सब अन्न बाली हाँठ्यपाल्या गन्ज्यम भर–भर लानठ । जौन उद्देश्यसे कन्द्रम कमैयन बैठल रल्ह, उ डगर छोर्क रसरस कन्द्रक कमैयन और लिक्या पक्रटल्ह । जिम्दारिन डक्लैना, लुट्ना कामम कमैयन लाग लागल रल्ह । आपन हक अधिकार, कन्द्रा आन्दोलनह कैसिक टिङ्गा पुगैना कैख जुट्ह्याला कम हुइ लागल रल्हिन ।     अग्वा, टिघ्वा मनै फे खराब कामम लाग लागल रल्ह । कन्द्रक कमैयन फे खराब डगरिम नेङ्गाइ लागल रल्ह । कन्द्रा आन्दोलनके अध्यक्ष जग्गाप्रसाद पाण्डे ओ सचिब काशीराम थारूक वानी व्यवहारसे कमैयन शंका करठ । ओइन्क व्यक्तिगत चालचलनके बाट टोल मोहल्लम फे खोब सुनजाइटह । ढ्यार दिनसे ओइन्म शंका करल कमैयन अध्यक्ष जग्गाप्रसाद पाण्डे ओ सचिव काशीराम के चिमा डाग लागल रल्ह । यी बाट ओइन पटा नैचल्लिन ।     रेशम बहादुर चौधरी कठ,“...उ डुनु जे एक्क तराजुक पल्रम टौलल हस रल्ह । गढ्न भख्खरिक लँवर्यन ब्यारक अँख्वारि करबेर खोब गाला मारट । ओइन आपन बाटम मोहन्या–मोहन्या खोब उसारठ..।” यी बाटसे कन्द्रक बुस्याल्हम आगी लागहस सरसहर््यट डमकगैल । सारा कमैयन यी बाटसे महाजोर डिक्याइल रल्ह । ओइन्क यी हर्कतसे कन्द्रा आन्दोलन बद्नाम हुइटि जाइटह, कमजोर हुइटि जाइटह । ओइन्क अगुवाइह कमैयन मन पराइ छोरडर्ल । जसिक टसिक आठ महिनासम जग्गाप्रसाद पाण्डे, काशीराम थारू, दिनेश श्रेष्ठहुकनके अगुवाइम कमैयन साथसहयोग कर्ल । पाछ ओइन्क अनैतिक कामसे रिसोटल कमैयन लौव अग्वा खोज्टी रल्ह । इह मौकाम रेशमबहादुर चौधरीह लौव अध्यक्षके पगरी बहानडेल ।     जसिक टसिक आठ महिनासम जग्गाप्रसाद पाण्डे, काशीराम थारू, दिनेश श्रेष्ठहुकनके अगुवाइम कमैयन साथसहयोग कर्ल । पाछ ओइन्क अनैतिक कामसे रिसोटल कमैयन लौव अग्वा खोज्टी रल्ह । इह मौकाम रेशमबहादुर चौधरीह लौव अध्यक्षके पगरी बहानडेल । यी बाटसे जग्गाप्रसाद पाण्डेक समूह रेशमबहादुरसे महाजोर ढिकल रल्ह । अग्वा डगर हेग्वा कटि कन्द्रक जन्यावन फे जग्गा पाण्डेहुकन कारबाही कर्ना सल्ला पर्ल रल्ह । जग्गा पाण्डे, काशीराम थारूह कर्खा लगाक कन्द्रा घुमैना योजना बनाख जुटल रल्ह । उ दिन जग्गा पाण्डे ओ काशीराम थारूके भाग बल्गर रलक ओर्से उ दिन जन्यावन नैभेटैल । सायद ओइन किउ पहिल सुनघुन डेसेकल रल्हिन् ।     यी घटनासे कन्द्रा आन्दोलन २ फर्चा होगिल रल्ह । एक पाँजर जग्गा पाण्डेक समूह रल्ह, ड्वासर पाँजर लौव अध्यक्ष रेशम बहादुर चौधरीक ओर लागल रल्ह । कुछ कमैयन आपन पाछ लगाक जग्गा पाण्डे आपन आन्दोलनह महान कन्द्रा आन्दोलनके ढोल पिट लागल रह । ड्वासर पाँजर, रेशम बहादुरके आन्दोलन ट पलि बा । भख्खर आपन रफ्तार पक्र खोजल कन्द्रक आन्दोलन रसरस कमजोर हुइ लागल रह । २ फर्चा हुइल कन्द्रक आन्दोलनम रेशमबहादुर चौधरीक पाँजर भर ढ्यार कमैयन डेखपरिन । कमैयन रेशमबहादुर चौधरीक ढ्यार आसभरोसा कर लागल रल्ह ।     अस्टह अस्टह ढ्यार मेरिक समस्यासे लोटपोट डब्नीभिर्या खेल्टी बहुदल आइल ब्याला कमैयन कन्द्रम औपचारिक बैठक २०४७ बैशाख ९ गतेसे शुरुवात करल रल्ह । सुरु सुरुम फाटफुट १÷२ ठो केल कन्द्रम झोप्री गर्ल रल्ह कमैयन । ६ महिनक भिट्टर कन्द्राम जिम्दारिनके शोषणसे सौंस्याटल कमैयन धमाधम झोप्री गार लागल रल्ह । कुछ महिना पाख भर कन्द्रम ग्वारा टेक्ना ठाउँ नैरहिगैल रह । कमैयन कन्द्रम आइठ डेख्ख कन्द्रा आन्दोलनके जोधन खुशी बिल्गट ।     एक मेरिक कमैयनके हिम्मत बहनगैल रल्हिन । कन्द्रा आन्दोलनके जोधन फे कमैयनके साथ सहयोग पाक मन बह्रल रल्हिन । आपन कमैयन कन्द्रम आइ नैडिहुइया जिम्दारिन कन्द्रक जोधन ओइनके घर घर बिजली माखुरके खोक्लम फे लिख लिख डक्लाइ लागल रल्ह । उ ब्याला रेशमबहादुर चौधरी कठ,“...हमार चिठ्ठी लम्मा नैरह, जिम्दारिन पहिलचो सम्झाक नरम भाषम लिखि । या ट टुह्र कमैयन बैठना ठाँटके व्यवस्था करो या ट फे कन्द्रम आइडेओ....।” जिम्दारिनके कौनो मेरिक जवाफ नैपैलसे कर्रक धम्काक फे लिख्ल । ओइन्क चिठ्ठी पहर्क जिम्दार कट्टुम मुट लागल रल्ह । कुछ अइगर जिम्दार भर कमैयन आइ नैडेहठ । चिठ्ठीक कौनौ मेरिक जवाफ नैपैलसे कन्द्रक सारा कमैयन जिम्दारिनके घर घर जाक कमैयनके भाँरा वर्तन, रहल दानापानी, लुग्री लट्टी, मुर्गी चिङ्गनी, सुअर माकर सब बोक्क कन्द्रम लानके झोप्री बना डेहठ । पुस्तौसे सौँकिम बुरल कमैयन, बघ्वक मुहमसे छुटकारा पाइलहस लागिन् । कन्द्रम लौसे खैना नैजुहैल्से फे कमैयन छुट्वा रल्ह । ओइन्क मन चौकस डेखपरिन् ।     २ फर्चा हुइल कन्द्रा आन्दोलन, महान कन्द्रा बगाल ढिर ढिर भुट्भुटाइ लागल रल्ह । जग्गा पाण्डेक पाछ लागल कमैयन फे रसरस रेशमबहादुर चौधरीक बगालिम मिल आइ लागल रल्ह । महान कन्द्रा आन्दोलनके पक्षम लागल कमैयन ढिलाइट डेख्क उपाध्यक्ष काशीराम थारू फे जयनगर गैगैल रल्ह । जग्गाप्रसाद पाण्डेक पाछ लागल सक्कु कमैयन ओइन्से आस टुर सेकल रल्हिन । सब जे रेशमके अगुवाइम रहल कन्द्रा आन्दोलनह जिउ ज्यान डेक लागल रल्ह । ५÷६ महिनाम कन्द्रा आन्दोलन फेर्को महाजोरसे ढिकल रह । बर्दियाके चटकल जिम्दार लल्लु बाबु, बासु उपाध्याय, किशोर गौतम, दमनध्वज चन्द लगायतके जिम्दार सब चुपचाप लागल डेख परठ । हुक्र गोप्य रुपसे प्रशासनसे मिल्ख कन्द्रा आन्दोलनके अग्वनम डाउँ ढारट । कन्द्रा आन्दोलनह कैसिक डबाइ सेक्जाइ कैख जिम्दार फे जुट्ह्याला कर डँटल रल्ह ।     जिम्दारिनके सिरुवा छोर्क आइल कमैयन खैना समस्या पर लागल रल्हिन । जिम्दारिनके घर कमाइ बेर लौसे जिम्दारिनसे सौँकि लेहक परिन, टब्बु पेटभर दाना पानी आपन जहान पर्यारह खवाइ पाइठ । कन्द्रा बस्तिम खौरही लिहि ट फे किहि से लिहि ? सबके दशा ट ओह रल्हिन । गुजारा चलाइक लाग बन्वा रुख्वा, डँर्यापट्या काट काट बेच लागल रल्ह । लग्घक बजारिम बेच्च घरक खर्चि न्वान, पिप्पर, ट्याल, चाउर लेह लागल रल्ह । एक पाँजर रुख्वा बरिख्वा कट्लसे हरेर परेर बन्वा उजार हुइना फे डर हुइल । ओ कमैयनके फे दिन भर भर ओह ब्यालो हुइ लागल रल्हिन् । कन्द्रा आन्दोलन बदनाम हुइट डेखक पाछ कन्द्रा आन्दोलनके अग्वा रेशमबहादुर यी सब बन्द करैल ।     कमैयनके दैनिक गुजारा करक लाग कुछ आयआर्जनक काम फे करक पर्ना रल्हिन, नै ट मुहम मार नैलग्टिन । रेशमबहादुर कमैयनके कुछ आयश्रोत बनाइक लाग बुह्राइल सेमरक रुख्वा काट्क ४ ठो टोङ्गही लाउँ बनाइ लगैल रल्ह । उ लाउँ कमैयन पालिक ओस्री कन्द्रक घट्वम चलाइ लगैल । उ ब्याला कुम्भर घट्वम लाउ ठेक्दार ४ रुप्या लेहठ । कन्द्रा घट्वम ओकर आधा २ रुप्या केल लेह लगैल, टाकि ढ्यार मनैन लिरौसीसे लड्यक वारपार कराइक सेक्जाए । ढिर ढिर मनै फे कन्द्रक घट्वक बाट पटा पैल । रस रस सारा मनै कुम्भर घट्वा छोर्क सब कन्द्रक घट्वम आइ लग्ल । ४ ठो लाउँ फे बराबर चल लागल रह । कमैयन फे काम पैना हुइल । दिनभरिक उठल पैसाक हिसाब किताब ढार लग्ल ओ कमैयनक लाग डाल, चाउर लानके कन्द्रम बठा लगाइ लग्ल ।     कन्द्रक घट्वम लाउँ चलैना फे कारन रह, टाकि कमैयन कन्द्रक जुट्ह्यालम आउजाउ करबेर लिरौसी हुइन । कुछ महिनासम लाउँ मन्के चलल् । जार महिनम पानीक डिउँ फे घट्टी गैल । भारी मनैन्के ठ्याकन पुग्ना पानी छोट लर्कन्ह घ्याचा पुग्ना हुइलिन । कन्द्रा बस्तिम अइना लिरौसी बनाइक लाग रेशमबहादुर चौधरी ४२ बरघरहुकन जुट्ह्याला बलाख सल्ला करल बाट बटैठ । सब बरघरहुकनके सल्ला सहयोगसे कन्द्रा घट्वम लाउ नैचलाख आब पुल बहन्ना बाट हुइल रल्हिन् । कन्द्रक घट्वम ४२ बरघरहुकनक बेगारीसे ६० मिटर नम्मा ओ २ मिटर चाक्कर स्याउने पुल (झालापाटासे बनल) जम्मा २ घण्टा म पुरा टयार करल बाट रेशम सम्झठ । आब कन्द्रा बस्तिम कमैयनक जुट्ह्यालम अइना झन लिरौसी हुइ लग्लिन । ढ्यार कमैयन, किसानन्, अढेर्वन उ कामक गुन मन्ना हुइल ।     असिक कन्द्रा बस्ति रस रस टङ्ग्रटि रह । आन्दोलन जिउगर डेख पर । आपन अभियान जोरटोरसे बह्रैटि लैजाइटह । ड्वासर पाँजर सिरुवा छोर छोर कन्द्रम आइल कमैयनसे जिम्दार महाजोर ढिकल रल्ह । ओइनसे कैसिक सौँकि असुल कर्ना बाटम सुर्टा मानठ । जिम्दार फे चुपाक कहाँ बैठ्ने रल्ह, आपन बलबुटा लगा लगा प्रशासनके कान फुँक्टि रल्ह ।  उ ब्याला खास कैख, काँग्रेसके मनै कन्द्रक मनैन फुँट्ल आँख डेख नैसेकठ ।     रस रस कन्द्रा वस्तिम कमैयन आपन जहानपर्यार लैख अइटि रल्ह । शोषक जिम्दारिनसे सौंस्याटल कमैयन कसिक ओइन्क पन्जमसे भाग सेक्जाइ कैख डाउँ लगैटि रल्ह । कन्द्रम कमैयनक बस्ति जमक गैल रह । एकठो अभियानक पाछ लागल गाउँ । बर्खौसे आपन अधिकार ओ पहिचानक लाग लागल आन्दोलन । पुस्तौसे जिम्दारिनके सौँकिसे डट्करल गाउँ । बलटल आपन अधिकारके लाग बोल भिरल गाउँ ।     जिम्दारिनके पर्गा लाग्घ, २०४९ कात्तिक २५ गते कन्द्रा वस्तिम प्रशासन हाँठि, डोजर लगाइल । राष्ट्रिय निकुन्ज, हाँठिसारसे १०÷१२ ठो डन्टारा हाँठि आइल रल्ह । ओत्रकेल नाही, ४÷५ ठो डोजर, बल्गर्वा फे कन्द्रा बस्तिओर टकैल रह । कन्द्रा बस्तिम एक पाँजरसे हाँठिन लगाक कमैयनके झोप्री, खर बन्ड्या उखाँर लागल रल्ह ।     जिम्दारिनके पर्गा लाग्घ, २०४९ कात्तिक २५ गते कन्द्रा वस्तिम प्रशासन हाँठि, डोजर लगाइल । राष्ट्रिय निकुन्ज, हाँठिसारसे १०÷१२ ठो डन्टारा हाँठि आइल रल्ह । ओत्रकेल नाही, ४÷५ ठो डोजर, बल्गर्वा फे कन्द्रा बस्तिओर टकैल रह । कन्द्रा बस्तिम एक पाँजरसे हाँठिन लगाक कमैयनके झोप्री, खर बन्ड्या उखाँर लागल रल्ह । डोसर पाँजरसे डोजर एक नासे चपचप चपचप कमैयनके झोप्री चापिर, सराटोल पर्टि आइल । लुग्गा ढर्ना भौका, न्वान ट्याल ढर्ना कुठ्ली, खट्या, मच्या, भाँरावर्तन सब कच्याक कुचुक पारडेहल रल्ह ।     कमैयन आपन खैना डाल, चाउर, दानापानी, भाँरावर्तन, बेडविस्टारा, कुछ चिजबरन भगाई नैसेक्ल । ओह खरबन्ड्यक खुरबुस्निम डाल, चाउर, न्वान, ट्याल, पिप्पर सब एक्कम मिलगैल रल्हिन् । प्रसासन फे कमैयन डक्लाइ लागल । बिचारन् सोग लग्टिक फिँफ्याइट । बुह्राइल बुह्राइल मनै छाटी पिट पिट खोब रुइठ । गरिबनके आँससे किहु फरक नैपरलिन् । सारा कन्द्रा बस्ति डेख्टी डेख्टी सराटोल बरावर होगैल रल्हिन् । आब चारुवर खह्रक टुट्ली टुट्ला खुरबुस्नि केल डेख पर लागल रह ।     प्रशासनसे कन्द्रा बस्तिह उजर्ना खबर कन्द्रक अग्वन नैपैलक नैहो । टब्बु फे ओट्रा भारी बस्तिसे कमैयन उहाँसे बेघर कर्ना मुश्किल काम रह । सब कमैयन एक मुठ होक प्रशासनसे डट्ना योजना फे बनैल रल्ह । ओहओर्से, कमैयन फे कन्द्रम अइना डोजरके डगर सब खँन्ढुक्का खाँनखाँन भारी भारी खटहा बनैल रल्ह । उप्परसे खट्हम झालापाटा ओ माटी फे डार्क पँट्ल रल्ह, टाकि डोजर उहाँसे निक्र ना सेक । आर्मी फे कन्द्रा अइना डगर पहिल चेकजाँज करसेकल रल्ह । आर्मी फे भारि समूह कन्द्रा अइना डगर बडल डर्ल ।     कुछ घन्टम, कन्द्रम लालभैल सिपैह्यन, बन्ढुक बोकल आर्मी बस्तिक चारुवरसे घेर सेकल रल्ह । लाग कि हुक्र आपन कमान्डरके आदेशके लाग अस्या लागल बाट, बन्ढुक डागक लाग । प्रशासनसे आइल अधिकारी, कर्मचारी, सिपैह्यनके कमान्डर सब डारु पिक ‘फिट’ रल्ह । ओइन्क आदेश अन्सार डेख्टी डेख्टी कन्द्रा सौलान पार डेल हाँठि ओ डोजर लगाक । आग आग सिडियो, सैनिक उच्चअधिकारी, आर्मी सब बारी बिँउरा, झँक्टि नेंगट । रेशमबहादुर कठ,“..उ ब्यालक सिडियो बारीम फरल हरेर पिप्पर टुर टुर आपन गोझ्यम ढार, उहिन पिप्पर टुरट कन्द्रक मनै डेख डर्ल । नारा जोर जोरसे लगाइल लागल रल्ह । ...खुर्सानी चोर देश छोर...।”     व्यवस्थित हुइटि रहल कन्द्रा डेख्टी डेख्टी सौलान होगैल रह । कमैयन पानी पिना, लुग्गा लट्टी ढुइना, लहैना, आपन जिवजिन्वारिन पानी पिआइक लाग लिरौसी बनाइक लाग १० ठो कुँवा खँडाइल रल्ह । कन्द्रा उजुरुइया अधिकारी, सिपैह्यन मद पि पि ओह कुँवाम हेग मुट डेल । फुहर उठा उठा ओह कुँवक भिट्टर डार डेल । कुँवा फुहर कर्लसे कमैयन पानी पिअ नैपैना हुइल । करक बुट बस्ति छोरक पह्रिन कैख अमानविय हर्कत डेखैल ।     कन्द्राके एकठो ऐतिहासिक दिन, २०४९ कात्तिक २५ गते हाँठि, डोजर लागल रह । कमैयनके बैठल बस्ति उठल पुठल हुइल रह । डगर, पिना पानीक लाग कुँवा, टिना टावनक लाग चाक्कर पर्टि गैल बस्ति पलभर्म बैराग लग्टिक बिल्ग लागल रह । उ दिन कमैयनके कौनो मेरिक औसान नैअइलिन् । लर भिर सेक्ना अवस्था फे नैरल्हिन । सब बन्ढुक्या सिपैह्यनसे चारुवरसे घेरल रल्ह । आपन झोप्रीक कोरै, बाटी, भिटा ढलट जरजर जरजर हेर्ल । ओइन ठे रोक सेक्ना कौनो मेरिक उपाय नैरल्हिन । उ दिन केक्रो घरम खैना नैपक्लिन । पानी पिआसलके मार मनै प्याक प्याक करठ । लड्यक पानी फटिक कराक पिना बाध्य हुइल रल्ह ।     बिहान्क बेजुबान कमैयन ठे जाँगर नैरल्हिन । जिम्दारिनसे लर्ना भिर्ना जोस पलभरिम पुलिस, आर्मिन लगाख डबा डेहल रल्हिन । कन्द्रक कमैयन ढ्यार सपना डेख्ल रल्ह । कन्द्रा बस्तिक सहारासे सारा कमैयन, जिम्दारिनके पुस्तौ पुस्ताके सौँकिक पन्जमसे मुक्ति हुइना । जाली फटाहा, सामन्ती जिम्दारिनके घमण्ड टुर्ना । आपन हक अधिकारक लाग लर भिर सिख्ना । उ दिन सारा बस्ति चुपचाप रह, बस्ति भैँयाए । डोजरके डाबल आपन झोप्रिक भिटा उठाइट, झोप्रिम मिलल आपन लुग्गा लट्टी खोजठ । डोजरके डाबल, पच्कल भाँराबर्तन ठोक्ठोकाइठ । टुटल खट्यक सिरैपाटी जोरठ । भुँइयम गिरल झोप्रिह फेर्को उठाइक खोजठ । माटिम मिलल खैना डाल, चाउर, न्वान, पिप्पर माटिसे अल्गाइ खोजठ । बुलडोजरके डाबल भाँरावर्तन पट्ठरसे सोझार खोजठ । बहुट पिरा डेना नजारा रह । डेखुइया मनै कठ, उ घटना हरकोइ मनैन्के आँस चुहा डेना रह ।     पानीक् प्यासल ज्वानजहान मनै ट प्याक प्याक छटपटाइठ कलसे भुखाइल लर्का, बुह्राइल मनै पेट पकर्क नै छट्पटैना बाटे नैरह । किउ रुख्वक छाँहिम गाल पकर्ल मन मर्ल रल्ह । सब कन्द्रक कमैयन मुर्झुराइल बिल्गै । कठ, मर्टा क्या नैकर्टा, रिससे चुरचुर कन्द्राबासी टिसर दिन कात्तिक २७ गते हर घरकुर्यासे १÷१ जे जिल्ला प्रशासन गुलरिया घेराउ कर्ना सल्ला हुइलिन् । रेशमबहादुर चौधरी कठ,“... उ ब्याला कन्द्रम सक्कु कमैयन मिलाख ४ हजार ९ सय ३९ घरकुर्या रह । जिम्दारिनके सिरुवा, बुक्रा छोर छोर उहै कन्द्रम बैठ आइल रल्ह, आपन अइना दिनके सुग्घर सपना लेक आइल रल्ह । सब घरकुर्यक मनै गन्लसे १८ हजार ३ सय ५६ जे कन्द्रम छारा कर्ल रल्ह । एकठो बहुट भारी गाउँ, कन्द्रा गाउँ बैठगैल रह...।”  कात्तिक २७ गते जब कन्द्रासे लगभग ५ हजार मनै कन्द्रा आन्दोलनके लाग गुलरिया गैल । सारा डगर लालभइल सरक छप्ल बिल्ग । लगभग २÷३ घन्टाके पैडर नेङ्गाइ पाछ कमैयन सारा गुलरिया बजार जोर जोरसे नारा लगाइ लागल रल्ह ।     कात्तिक २७ गते जब कन्द्रासे लगभग ५ हजार मनै कन्द्रा आन्दोलनके लाग गुलरिया गैल । सारा डगर लालभइल सरक छप्ल बिल्ग । लगभग २÷३ घन्टाके पैडर नेङ्गाइ पाछ कमैयन सारा गुलरिया बजार जोर जोरसे नारा लगाइ लागल रल्ह । जिल्ला प्रशासन कार्यालय गुलरियम धर्ना बैठल रल्ह । ढ्यार सामाजामा सहित कमैयन सदरमुकाम गैल रल्ह । सिधापानी लेक धर्ना सुरु कर्ल रल्ह । घरौरी पिच्छे १ मनै ४÷४ दिन धर्नम पाल्या कटाइक परिन् । आन्दोलनम पाल्या कटाक बाँकी दिन फे आपन जहान पर्यारके रेखदेख कर कन्द्रम जाइठ । कन्द्रा आन्दोलनह सम्झटि थारू जोधा कौशल्या थारू कठि,“...उ आन्दोलनम कमैयन्क महाहट्या हुइल रह । ना खैना, ना पिना ठेकान रह, बजहर््या चिज खाक ढ्यार कमैयन विमार फे परल रल्ह । २ रुप्यक सिटामोल खा खाक कन्द्रा आन्दोलन जिल्ला प्रशासनके गेटम धर्ना बैठल रल्हि । जिम्दारिनके पर्गा लाग्क प्रशासन फे हमार आन्दोलन डबाइ खोज...।”     एक दिन डु दिन करट करट दिन, पाख, महिना कट लागल रल्हिन् । २७ दिनसम नम्मा कन्द्रा आन्दोलन चलल् रल्हिन् । जबसम सरकार ओइन बैठ्ना ठाँट नैडेखाइ, उ धर्ना नैछोर्ना कमैयनके सल्ला रल्हिन् । भुख्ल प्यास बैठल धर्नम ढ्यार कमैयन बिमार पर्ल, टब्बु फे आपन आन्दोलनह नैढिलैल । गरिब, बेसहारा, बेजुबान, कमैयनक आन्दोलन बर्दिया जिल्लम पहिलचो एकमुठ होक ओत्रा नम्मा आन्दोलनक लाग घुट्ठी टेक्क हिरगरसे लागल रल्ह । बर्दियाके कन्द्रा आन्दोलन रस रस पत्रपत्रिकम फे ठाउँ पाइ लागल रह । यी आन्दोलन केन्द्र सरकार ठे पुग्ना बहुट समय लग्लिस् । सरकार फे कमैयनके आन्दोलनह सुनल नैसुनल हस कर्क कानम टेल डार्ख बैठल रह ।     उ ब्यालक प्रधानमन्त्री गिरिजाप्रसाद कोइराला रल्ह । देशभर कमैया, सुकुम्बासी, हरुवा, चरुवा, दलित, मधेसी, मुसरमान, अल्पसंख्यक, किनार लगाइल मनैन्के चहा जट्रा भारी समस्या रल्हसे सरकारह कौनो मेरिक फरक नैपरिस्, ना ट ओइन्ठे यी निब्बर मनैन उठाइक लाग कौनो योजना रल्हिन्, ना ट यी डुब्बर मनैक बाट ओनाइठ । देशम सुकुम्बासी आयोग गठन कर्ना कौनो मेरिक चिल्वास नैरहिस सरकार ठे । २७ दिनसम करल लम्मा आन्दोलनह सरकार नजरअन्दाज कर्टि रह । पन्चायतकालम बनाइल बसोवास कार्यालय भर रह । टब्बु फे कमैयनके हकहित, अधिकारके लाग कौनौ मेरिक प्रावधान ओ व्यवस्था भर नैरह ।     कमैयनके आन्दोलनके कौनो मेरिक सुनुवाई नैडेख परलओर्से, कमैयन फे कन्द्रा आन्दोलनह आउर कर्रा बनैना सल्ला कर्टि रल्ह । बर्दियम चलल नम्मा आन्दोलन जिल्ला, क्षेत्र, केन्द्र कर्टि लड्यक हल्कोरा मारहस राजधानी सम पुग लागल रह । मेरमेरिक आलटाल, बहानाबाजीसे कमैयनक अवाजह डबाइ खोज्ना सरकार पहिल चो २०४९ सालम शैलजा आचार्यके अध्यक्षताम सुकुम्बासी आयोग गठन कर्ना सरकार मजबुर हुइल रह । बर्दिया जिल्लासे सुरु हुइल कमैयनके कन्द्रा आन्दोलनके कारनसे देशके ६५ जिल्लाम सुकुम्बासी आयोगक कार्यालय ढर्ल ओ सुकुमबासीन्क लाग काम कर्ना सरकार सँख्रल रह ।

चौठीचान (चरचना) पावन

चौठीचान (चरचना) पावन

११०७ दिन अगाडि

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१६ भदौ २०७९

 नेपाल बहुजाति, बहुभाषिक, बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक हेल देश छेकै। यतेकरा आपन आपन समुदाय, आपन आपन धर्म संस्कृति बमोजिम बिभिन् प्रकारके पावन, उत्सव मनछै। तराईमे भादो शुक्ल चतुर्थी तिथिके बिषेश महत्व छै।  भारत लगायत नेपालमे तिज, गेणेश चतुर्थी, चौठचन्द्र, कलंक चतुर्थी, पत्थर चतुर्थी आदी बिभिन्न नामसे जानल जेछै। थारु समुदायमे चौठीचान, चरचना पावन कहिके मनछै। भादो उजरियाके चौथा (चार) दिनके चान हेलके कारण चौथीचान अपभ्रंस हवीके चौठीचान हे चरचना बोलचालमे छै। चौथीचानके खाली हाथ नय देखछै। फलफुल हाथमे ल्याके देखे साकछै। खाली हाथ देखलासे बिना कारण कलंक लागे साकछै कहिके जनबिश्वास छै। चौठीचानके कथा प्रसंग  स्कन्द पुराण, अग्नी पुराण बमोजिम भादो उजरिया चौथी तिथीमे श्री गणेश भगवानके जलम हेलके कारण गणेश चतुर्थी कहलकैस। सवसे सुन्दर पुर्णेमाके चान रहेक। एक बेर देवलोके सभामे चानरा भगवान गणेशके बडकापेट, हथीके मुडा हेलके कारण हांसी देलकै। तव गणेश चानके सराप देलकै कि तोर रुप क्षिण हेतौ तव अन्हरिया हेलै। यिटा श्रापसे मुक्ति पावे लगिन चान सोमनाथ मे शिव लिङ्ग स्थापना करिके पुजा करलकै ताव शिव प्रसन्न हवीके आपन शिरमे चानके धारण करलकै हे तव कहलके हे चान तेंह्या गणेश जलम लेल दिन गणेशके पुजा करिह तव चानरा भादो शुक्ल चतुर्थीमे पुजा करलकै। चान के पुजासे प्रसन्न हवीके गणेश जी बरदान देलकै – हे चान देख ! हमर वचन खाली नय जेथौन मतर पखे पखे तोहर उजरिया हे अन्हरिया हेथौन। मतर आजकर दिन जे तोहरा खाली हाथ देखथोन वकरा कलंक लागवे करथोन। सेहासे सरापसे मुक्त हवे लगिन चौठीचान पावन करछै। बिष्णु पुराणमे भगवान श्रीकृष्ण चौठीचान देखलाके कारण दोष (कलंक) लागल कथा छै। भागवत कथामे राजा सत्राजित नामके राजा संगे स्मंतक मणी रहेक जे कि आठ भरी सोना दैनिक दैक। वेहारासे आपन प्रजाके प्रतिपालन करेक। एक दिनके बात छेकी भगवान कृष्ण राजा सत्राजित से हंसीमजाकमे उटा मणि मथुराके राजा उग्रसेनके लगिन माङलकै मतर नय लेलकै। संयोगके बात छेकी सत्राजितके भाई प्रसेन उटा मणी मला पिन्हीके जंगलमे सिकार खेलावे गेलै मतर जंगलमे वकरा बाघरा मारी देलकै। बाघरा जंगलमे घुमते छेली तव जामन्त भौल भेट हेलै। जामबन्त बाघके मारीके स्मंतक मणिके हार ल्याके गेलै हे बेटी जामबतीके उटा हार देलकै। बिष्णु पुराणमे भगवान श्रीकृष्ण चौठीचान देखलाके कारण दोष (कलंक) लागल कथा छै। भागवत कथामे राजा सत्राजित नामके राजा संगे स्मंतक मणी रहेक जे कि आठ भरी सोना दैनिक दैक। वेहारासे आपन प्रजाके प्रतिपालन करेक। यी महर मणी हरल हल्ला चारोदिस फैलली हे भगवान कृष्णके मनी चोरल कलंक लगले। भगवान कृष्ण बुझे पता लगावे यले तव वे मणिके खोजमे जंगल गेलै। जंगलमे प्रसेन मोरल भेटलै। वतेकरा बाघके पांज देखलकै हे पांज भजियते गेलै त बाघराके मोरल देखलके। वतेकरा भौलके पांज देखलकै हे पांज भजियते गुफा सुरुङ लगत पुगलै। भित्रि सुरुङमे जामबन्त संगे २१ दिन तक  कुस्ति खेलकै तयो कोयनी हारलै। तव जामबन्त घ्यान करिके देखलकै त भगवान रामके स्वरुप देखलकै हे सरण परलै। तव बेटी जामबती से मणिके हार ल्याके कृष्णके देलकै। उटा हार ल्याके भगवान कृष्ण राजा सत्राजितके देलकै। राजा सत्राजित प्रसन्न हवीके कृष्णके आपन बेटी सत्यभामा संगे बिहा करिदेलकै हे स्मंतक मनि उपहार देलकै। चानके भगवान कृष्ण शिरमे धारण करलके कारण कृष्णचन्द्र भी कहछै। सेहास यकरा कलंक चतुर्थी कहछै। चौठीचान पावनके बिकृति  कोइ कोइ चान देखलासे दोषमुक्त हवे लगिन लोकके घर येङनमे पथल फेकी देछै,  फोहर मैला करिदेछै, फलफुल चोर्याके बिपनास करछै। वकरा खुवसे गार देलासे दोष मुक्त हेतै कहिके मान्यता राखछै। मतर यिना बिकृतिसे बचिके रहना चाही। पथल फेकलके कारण पथल चतुर्थी भि कहछै। चौठीचान ब्रत पुजन संक्षेप बिधि चौठीचान ब्रत खास करिके महिलाना करछै मतर बालबच्चा, युवा युवती सबकोइ यीटा ब्रत लेवे साकछै। घर येङन सफा सुथरा निपापोछा करिके शुध्द करछै। घरके दरदेवताके धुपदिप द्याके जगछै। भिनसरमे स्नान करिके ओटगन खेछै। ओटगनमे दहि, चुडा, खिर, सोहारी, मिठाई, फलफुल जे जुरछै खेछै। चौथीके दिन निराहार रहिके सांझ आपन दरदेवताके धुपदिप द्याके तयार करल सरजामना के अरग देवेवला जगहमे निपपोछ करिके पिठार अरपैन देछै हे सिनुर पिन्हछै। केला पताके उपरमे  प्रसादके डाली राखछै । उपरसे केला पता ल्याके झापी देछै। खास करिके जीवनमे कलंक नय लागे हे कलंक लागवो करला पर निस्कलंक (दाग नय लागे) पार हवे लगिन गणेशके जलम दिन भादो शुक्ल चतुर्थी तिथीमे ब्रत करछै। पुजा समाग्रीमे दुरीबोन, पानसुपाडी, नरियर, आकोपतै, धुप दीप, केला, लड्डु मिठाई, सिनुर, फलफुल, दही , खिर, सोहारी, दुध, जल आदी तयार करे परछै। अरग देवे लगिन आकोपतै, पान सुपाडी हाथमे ल्याके उगल चानके देखते दुधके अरग गणेश जी के तीनवेर देछै।  भगवान गणेश से मने मने कलंकसे मुक्त करिदेवे लगिन बिन्ति गोचर करछै। चानके अरग देलाके बाद ब्रत ओरछै। सिनुरके टीका लगछै क्यामकी सिनुर गणेशजी के पसिमके टीका छैकै। सिनुर सुख समबृधीके प्रतिक छेकै। आपनसे बोडनाके सेवा पारीके आशिर्वाद लेछै। कुदेवतासे आसिरवाद लेछै। तव ब्रतालुनाके ब्रत टोडे लगिन प्रसाद ग्रहन करछै। गोचर बिन्ति  हे गणेश जी ! हमे चौठीचानके ब्रत लेलछिन। मलवैया छेकिन। अनपानी खेछिन । झुठ बोलछिन। घडीघडी अपराध करछिन। सेहास जान अनजानमे हेल दोष माफ करिदिह। हमर कलंक दुर करिदिह। हमरा अमृत, पुष्टी, बिद्या, श्रीसम्पती, सौन्दर्य, तेज, कान्ति, शान्ति, सुख आदी चान ढवक १६ कलासे पुर्ण करिदिह। हे गणेश जी ! हम अदना प्रणी छेकौन। जे जुरलोन से चढलोन, जे जानल छहोन से करलोन। घटीबढी माफ करिदिह। सदा हमर दाहिन रहिय। पुजा समापन हेलोन आपन पन ठाम लागिह। कहिके जलढारीके गोडमोड लागिके पुजा सोपी देछै। गणेश भगवान कि जय। चन्दामामा कि जय। कुलदेवता कि जय। ग्रामदेवता कि जय। सकले देवी देवता कि जय। चौठीचान ब्रतके महत्व  खास करिके जीवनमे कलंक नय लागे हे कलंक लागवो करला पर निस्कलंक (दाग नय लागे) पार हवे लगिन गणेशके जलम दिन भादो शुक्ल चतुर्थी तिथीमे ब्रत करछै। खाली हाथ चानके देखलासे कलंक लागछै। रिध्दिसिध्दि गणेशके ब्रत करला पर जीवनमे काममे सपलता पेछै। भगवान राममे १२ गुण, भगवान कृष्णमे १६ गुण हे चान ढवक १६ कला हेलके कारण भगवान कहलछै। मतर मलवैयाना कमसे कम सत्य, पराक्रम, धैर्य, श्री, सिध्दी, मान, कान्ति हे शान्ति गुण हे कला प्राप्तीके लगिन ब्रत करछै। सुख, शान्ति, सन्तान, श्रीसम्पति प्राप्त हेछै। काममे सफलता प्राप्त हेछै। रोगबियाद, संकट, दुख दुर हेछै। दोष, कलंकसे मुक्त हेछै कहिके जनबिशास छै। बर्तमान अवस्था हे यकर पुस्तानान्तर  थारु समुदाय लगायत तराईके आर समुदायमे चौठीचान परवके महत्व घटते गेलछै। क्यामकि ज्ञानके कमी, परंपरागत पुजनबिधी हे महत्व पुस्तानान्तरके कमी, आधुनिकता के प्रभाव, दोसरके पावनके चमकदमकके चलते थारु समुदायके पावन मनावे लगिन हिनता बोध, दोसरके देखासिकी, दोसर समुदायके पावनके सहज ग्रहण, सरकारसे थारु समुदायके चांड परवके प्रोत्साहन हे संरक्षनके कमी, थारु समुदाय आपन भाषा संस्कृति प्रति उदसिनता, पुस्तानान्तरके दुरी, शैक्षिक पाठ्यक्रममे थारु समुदायके परव समावेस के कमी, शासक बर्गसे उपेक्षा हे नेपालीकरणमे जोड, आदी बिबिध कारण से चाडपरवना लोपउन्मुख छै। याकर संरक्षण हे पुस्तानान्तर होना जरुरी छै। यकर लगिन थारु समुदाय लगायत चौठीचान ब्रत करेबला सबकोय लागेभिडे परतै। पावन तिहार सव्हैके साझा छेकै हे सब कोइ हर्ष उललासके साथ मनावे परछै।                                       

भन्सम डाइ

भन्सम डाइ

१११४ दिन अगाडि

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९ भदौ २०७९

कौशल के मिश्र  बर्टनक आवाज बरे राटसम् आइटह भन्सक बम्मा चल्टि बा, डाइ भन्सम बाटि । टिन्यो पटोइह्यन आपन आपन कोन्टिम सुट जा चुक्ल, डाइ भन्सम बाटि । डाइक काम बाँकि रहिन, मुले काम सब्के रहिन, मने डाइ आभिन फे सक्कु काम आपन मन्ठि । दूध ढिका क, जुराक, जवाइन डर्ना बा, टाकि बिहन्य छावन ताजा दहि मिलिन, चुल्हम ढरल् भाँरा डाइ किचोठर्ठि चहा दिन बदलजाए, चुल्हा साफ हुइक चाहि । बर्तनक आवाजसे छावा–पटोइह्यक निंड खराब हुइटिन्, बर्का पटोइह्या बर्का छावासे कठि, “टुहाँर डाइहँ निंड निअइठिन् का ?  ना अप्न सुट्ठी ना हमन सुट डेठी” मन्हलि मन्ह्लसे कठि, “आब हेरहो बिहन्य चार बजेसे खनमन सुरु हो जाइ,  टुहाँर डाइहँ चैन नि हुइटिन का ?” छोट्कि छोट्कक् ठे कठि, “प्लिज जाक यि ढोंग बन्द कराउ  कि राटक चुल्हा खालि रहक चाहि” डाइ टबटक वर्टन मिस स्याकल् रठि, लिउह्रल पुट्ठा, आँखर उन्ज्रा, लट्कल छाला, जारम साँसट, आँखिम पाकल मोति बिन्दु, माथम टप्कल पस्ना, ग्वारम उमेरक लग्लगाहट्, मुले, दूधक गरम कराहि उ आभिन फे छुछ्छे हाँठले उठा लेठि, टबो पर हुँकाहार अंग्रि निजर्ठिन्, का कर कि उ डाइ हुइटि । दूध जुर हो चुकल, जवाइन फे लाग स्याकल, घरिक सुइ मिच्छा स्याकल, मने... डाइ फ्रिजमसे डुल्रि निकार्क काट लग्ठि, हुकहिन निंड नि लग्ठिन्, काकर कि उ डाइ हुइटि । कबु कबु सोंच्ठु कि डाइ जसिन विषयम  लिख्ना, बोल्ना, बटैना, जटैना कानूनसे बन्द हुइक चाहि, का कर कि यि विषय निर्विवाद हो, का कर कि यि सम्बन्ध स्वयं परिक्षा हा । राटक बार बजे बिहानिक लाग डुल्रि कट्गैल्, अचानक याद अइलिन कि बिरुवा ट खैले नि हुइ, बित्टारक सिह्रनिक टर ढर्लक ठैलि निकर्लि जोन्ह्यक ओजरारम बिरुवक् रंगक हिसाबसे मुहम डर्लि ओ घटक्क पानी पि लेलि । पन्ज्र एक निंड पुगा सेक्लक बाबा कल, “आ गैल्या” “हाँ, आज ट कौनो काम नि रह” –डाइ जवाफ डेलि ओ ओंडर गैलि, काल्हिक चिन्टम पटा नै निंड अइठिन् कि नाइ मने बिहन्य कौनो मिच्छावन नि रठिन् का कर कि उ डाइ हुइटि बिहन्यक घन्टि पाछ बाजठ्, डाइक निंड पहिलहँ खुल्जैठिन्, पटा नि हुइटिन कि कबु कबु जारम फे, डाइ ढिकाइल पानीले लहाइल् हुइहि हुकिन सर्डि नि लग्ठिन्, का कर कि उ डाई हुइटि । पत्रिका पहर्बे नि कर्ठि मने उठाक लन्ठि, चाइ नि पिठि, मने बनाक लन्ठि, हालहाल खान नि खैठि मने बना डेठि का कर कि उ डाइ हुइटि डाइक बारेम बाट जिन्गि भर नि ओराइ आउर हाँ, यदि पहर्टि पहर्टि  आँखिमसे आँस आ जाइ ट कृपया खुल्क रुइबि ओ आँस पोंछ्क एकचो आपन डाइहँ जादुक उँक्वार जरुर डेबि, का कर कि उ और केक्रो नाइइ, अप्नक्क डाई हुइछि ।   कौशल के मिश्र से लिखल हिन्दी भासाके कविता थारुम सोम डेमनडौरासे उल्ठा हुइलक हो ।