हरोइह्या

हरोइह्या

७४४ दिन अगाडि

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१३ भदौ २०८०

मै थारु रुख्वा

मै थारु रुख्वा

७५७ दिन अगाडि

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३२ साउन २०८०

गणेश वर्तमान लिप्स्टिपिक रुख्वा अस् स्वाझ् बाटुँ जिन्नक रुख्वा अस् निख्खार बाटुँ टुँ डुरसे चिन् सेक्लो  मै थारु रुख्वा हुइटुँ। सक्कु ज मैहेँ रोस्ठ सक्कु ज मैहेँ खोस्ठ घरक् खुँटा बनाइक् ला बगर्वक् कोरै बनाइक ला । घरक् खुँटा बनाइबेर किउ कुह्रारिले ठप्काइट् बगर्वक् कोरै बनाइबेर किउ हाँठ्या आरिले ग्याँरट्। टभुन मै चामचिम् पलि रठुँ कट्वा पाइबेर कुह्रार अछिन्के  महि ठप्क नि आइट् पानी नि पाक रुइना  ढन्सुहिअस् चिल्लाइ नि आइट् उह मार,  कैहेनिक् मन्त्री मन्डलम फे  महि काट्के और जाहिन गस्किल । मै भित्र भित्र कठ्याक् रुइनु  उ बाट् म्वार आँख् हन पटा बाटिस् आपन्न सङ्घारि मन रुइबेर डुन्ड्रि अस् आँस् बहाइ नि पैलक् डुख् साइट् मै टेनक् रुख्वा अस् रटुँ ट के ह्यारट् महि ? साइट् मै गुल्ह्रिक रुख्वा अस् रटुँ ट के ड्याखट् महि ? कैहेनि शिक्षा ऐन म फे म्वाँर फेड्रि ठप्कल । म्वार छाहिँ हटिल । टभुन मै ऐया वा फे नि कनु । महि काजे ठप्कलो नि कनु महि गेर्ना हाँठ्हन नि पिट्नु महि ग्याँर कना मुँहन नि ठुक्नु मै लाट् कलसे  जाँर ढोक्क जन्नि गर्याए आइट् मै हाँठ् नि लगिनाहा कलसे आपन जन्निहन ठठाइ आइट् टभुन महि कटुइयनके लाक् लिप्स्टिपिक रुख्वाअस् स्वाझ् बाटुँ जिन्नक रुख्वाअस् निख्खार बाटुँ । मै थारु रुख्वा ।।

फल्कहान छोटका

फल्कहान छोटका

७८७ दिन अगाडि

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२ साउन २०८०

पुस माघके जुर बयाल ओहो ! कत्रा जार हुइल ।  फल्कहान छोट्कवक् छावा डुनु हाँठ छातीम्  मन्के चप्क्वाइल । मुक्त कमैया फल्कहान छोट्कवाहे  छावाहे सुफ्लैना  कौनो जवाफ नै रहिस ।  छावा बाबाहे जार हुइल  सुनैलक अर्थ  डंडुर झुल्वा माँगटा कना  फल्कहान छोट्कवाहे  मजासे पटा बटिस ।  मने का कर्ना  ना टे ओकर कौनो खेतवारी  ना टे कौनो ठेक्का बटिस  कहाइके मतलव ऊ  वेकम्मा बा ।  छावक् जारसँगे ओकर फेन जार बह्रलिस   ऊ कौह्रा टापे छिमेकीक्  खेरन्ह्वाओर नेंगल ।  पिठ खोलल्  झुक्काहस्  अन्य छाँहि फेन  आगि टप्टि रहिट ।  भेभवा, सुख्ला, मंगलवा, पण्डवा  ओकर मुक्त कमैया संघरियन्  मानो ओइने आँखिक् शानले बट्वइटि बटाँ ।  का करी  अढिया खेती कसिक लगैना हो जिमडरवा छाइ कमलह्रिया माँगठ  ना लगाउँ पेट रोटी माँगठ  यी उपरी जार टे  दिन उचियाइटसम कम हो जाई मने पेट भित्तरके जार  इहि कैसिक डंडुर बनैना   फल्कहान छोट्कवक् ठेन  यकर कौनो जवाफ नै हुइस ।  डोसर ढम्मरढुस छाँहि  एक्फाले हाँठ बह्राइठ ओ खोखठ्  “फेन कमैयाँ बैठ्लेसे हो गैल झे ।” फल्कहान छोट्कवक पैला  हेर्टि हेर्टि ओहे छाँहीक्सँगे  हेरा जाइठ । 

गोचाली  टुँ ढ्यारसे ढ्यार महेश जर्माउ

गोचाली  टुँ ढ्यारसे ढ्यार महेश जर्माउ

८२७ दिन अगाडि

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२५ जेठ २०८०

                                                                                                                                                       फायल फोटो  गणेश वर्तमान टुहिन आप सुनसान लागि भिन्सार क उँर्वा चैनार बनाइट आपन सुट्पुट्रुक ब्वाले। ओसहँक आपन ढङ्लासले भरल मेर मेरिक गुनले टुहाँर लग्गु आ क खिट्रुईया चैनार लगुइया आस मैयाँ मार्क चलगिल। गोचाली सक्कु उहँर रोरि बिछाइल रह टुँ जर्मक लाक माटि चहबेर उ आपन गडौरिम जर्मैल आपन घ्याँचा मुन्डारिम ढैक कना हो कलसे उ टुहाँर जरम डिहुइया हुइट अप्न निखा खा टुहिन कल्वा मिन्हिँ खउइया टुहाँर सोर्हिन्याँ हुइट। गोचाली टुहाँर आँखिम् आँस बा डेर्हिभर धान रहजस पिँरा गोचाली यिहाँ पिँरा नि रलक के बा ? यिहाँ डुख नि रलक के बा ? टुँ ना रोऊ टुँ रुइबो ट हुँकाहार अट्मा रुहिन पैल्ह उ टुहिन जर्मिल आप टुँ ढ्यारसे ढ्यार महेश जर्माउ टब हुँकाहार अट्मा खुसि हुहिन। थारु भाषक पहिल पत्रिका गोचालीक जरमदाता महेश जि प्रति समर्पित

मेर मेरके फुला फुलल् डेख्ठुँ 

मेर मेरके फुला फुलल् डेख्ठुँ 

८८२ दिन अगाडि

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१ वैशाख २०८०

दिपक चौधरी "असीम" प्राकृतिक बग्यामे मेर मेरके फुला फुलल् डेख्ठुँ  ओहे फुलामे जोग्नि, मढ्वा,भौंरा भुलल् डेख्ठुँ।  अपन बोलि भासा संस्कृति पहिरान छोर्के यहाँ,  लावा युबा हुक्रन बिडेसि संस्कारमे डुलल् डेख्ठुँ।  कट्रा सुहावान हमार अप्ने नाचकोर गिटबाँस बा, फेर काजे इ छोर्के फिल्मि डुन्यँम् झुलल् डेख्ठुँ।  डफ्ला मन्ड्रा, झाल मजिरा कस्टार हमार संगिट,  इ सब छोर्के बजारमे डिस्को डिजे खुलल् डेख्ठुँ।  कसिके लावा पुस्टाहे हमार अपन संस्कृति डेना हो,  एहे सोंचमे हमार पहिचान हेरैना डर नुकल् डेख्ठुँ।                                 कैलारी २ बसौटी, कैलाली

धनगढीमे गोंरि डारल समाज रुपान्तरणके लाग ‘बातचित घर’

धनगढीमे गोंरि डारल समाज रुपान्तरणके लाग ‘बातचित घर’

८८९ दिन अगाडि

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२४ चैत २०७९

समाज रुपान्तरण कैना अभियानके साथ धनगढीमे ‘बातचित घर’ सुखसे सुरु हुइल बा । बातचित घरके उद्घाटन सुदूरपश्चिम प्रदेश लोकसेवा आयोगके उपसचिव हिरालाल चौधरी करला । उहाँ बातचित घरहे राजनीतिक, सामाजिक, साँस्कृतिक, आर्थिक लगायत टमान विषयबस्तुके छलफल, विचार विमर्श कैना प्लेटफर्मके रुपमे लेहल जनैलाँ । बातचित घरके सञ्चालक संयोजक, बरघर ठाकुर करिया प्रधान समसामयिक विषयवस्तुमे छलफलके लाग एक साझा मञ्चके विकास कैना उद्देश्यसे बातचित घर सुरु कैगैल बटैलाँ । उहाँ बातचित घरसे थारू कला, साहित्य लेखन ओ सिर्जनात्मक कामके बखान कैजैना ओ इहिसे थारू समुदायमे रहल बौद्धिकताके प्रर्वद्धन, दस्तावेजीकरन फेन हुइना कहलाँ । धनगढीके थारु छात्रबासमा स्थापना हुइल बातचित घरमे मासिक रुपमे कम्तिमे एकफेरा ओ आवश्यकता ओ समय अनुकुल चाहेजब कार्यक्रम कैना जना गइल बा । घरके किसन्वा तथा व्यवस्थापन संयोजक माधव थारू कार्यक्रममे आइल पहुनन्हे मनतब्य सहित स्वागत करल रहिट । कार्यक्रमके सञ्चालन अघरिया उन्नती चौधरी करले रहि । कार्यक्रममे साहित्यकार सागर कुश्मी, सानु चौधरी, गायक राज चौधरी, निर्देशक चन्द्र चौधरी लगायत ढेरजने आ आपन रचना सुनैले रहिट । कार्यक्रममे थारू वुद्धिजीवी, समाजसेवी, पत्रकार, विद्यार्थी लगायतके जुटौला रहे ।

जिन्गिसे लर्टि बटुँ मै

जिन्गिसे लर्टि बटुँ मै

८९१ दिन अगाडि

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२२ चैत २०७९

दिपक चौधरी ‘असीम’ कब कहाँ कह्या ओराइ जिन्गि मोर सोंच्टि बटुँ मै।  हर कडम यहाँ समस्यासे लर्टि जिन्गि कट्टि बटुँ मै।  खै कौन कलमसे कौन डिन भाग्य लिखल बिढाटा फेँ,  कहुँ सुख नै लिखल् मोर डुखक आँस पोंछ्टि बटुँ मै।   कबु सोडेस कबु बिडेस स्ठाइ रुपसे बसोबास नै हो,  कबु घरबास कबु परबासके बिच डगर नेग्टि बटुँ मै।  घर परिवार इस्ट मित्र सक्कुजे कह्ठैं कब सम जैबि,  आनक डेस श्रम बेँचे कुछ कर्ना सपना डेख्टि बटुँ मै।  गरिबन्के सपना सपना रैह्जाइट् कबु सफल नै हुइट्,  टबु फेन सपना डेखक् नै छोर्के जिन्गिसे लर्टि बटुँ मै।  कैलारी–२ बसौटी, कैलाली