छिनार जन्नि

छिनार जन्नि

८९४ दिन अगाडि

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१९ चैत २०७९

पहिला अन्तराष्ट्रिय थारु सम्मेलन सुुरु

पहिला अन्तराष्ट्रिय थारु सम्मेलन सुुरु

९०७ दिन अगाडि

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६ चैत २०७९

टिकाराम चौधरी बर्दियाके ठाकुरबाबा नगरपालिकामे पहिल अन्तर्राष्ट्रिय थारु सम्मेलन शनिच्चरसे सुरु हुइल बा । थारु अन्तर्राष्ट्रिय महासभाके आयोजनामे नेपाल तथा भारतके थारु अगुवा, नेता तथा बुद्धिजीविहुकनके सहभागितामे ठाकुरबाबाके सिंहबाहीनी खैल मैदानमे प्रथम अन्तर्राष्ट्रिय थारु सम्मेलन हुइल हो । उदघाटन कार्यक्रमके प्रमुख अतिथि पुर्व शिक्षा राज्यमन्त्री तथा थारु नेता तेजुलाल चौधरीसे नेपाल भारतके थारुहुकनके पहिल नेपाल जमघट हुइल बटैलै । थारु समुदाय आघे बह्रेक लाग एकजुट हुई पर्ना बटैलै । कार्यक्रममे बोलुइया थारु समुदाय अभिनफे राज्यके टमान निकायमे पहुच पुगे नइसेकल अवस्था रहल ओरसे आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्रमे आघे बह्राइक लाग सक्कु थारु समुदाय एकजुट हुइना पर्ना आवश्यकता रहल बटैलै । अब्बेफे थारु समुदायसे राज्यसे अपेक्षा करल अनुसार न्यायोचित स्थान ओ अवसरसे वञ्चित हुइटी रहल अवस्था ओरसे थारु समुदाय एकमत हुके थारु संगठनहे बल्गर बनैनाके कौनो विकल्प नइरहल बटैलै । नेपालमे थारु समुदायके लाखौके संख्यामे बसोबास रहलेसेफे राजनीतिक तथा प्रशासनिक क्षेत्र न्युन सहभागिता रहल ओरसे थारु समुदायके राज्यसत्ता संचालनमे पुगे नइसेकल अवस्था औल्यइलै । नेपालमे अभिनफे तराई क्षेत्रमे थारु समुदायके बाहुल्यता रहलेसेफे स्थानीय तहमेफे बल्गर उपस्थिति हुई नइसेकल हो । यी मध्य झन् थारु महिला झन पाछे रहल कार्यक्रममे बोल्न महिलाके कहाई रहे । नेपालमे थारु महिला नगरप्रमुखमे दुई जाने केल रहल बा । महिलाहुकनहे राजनीतिक दलसे चुनावके बेलामे टिकटसम नइडेहल ओरसे यैसिन अवस्था सिर्जना हुइल सुरङगा नगरपालिकाके नगरप्रमुख गीता चौधरी बटैली । महिलाहुकनहे टमान क्षेत्रमे पाछे पारल बटैली । कार्यक्रममे बोलुइया बक्ता सक्कु जे थारु संगठनहे बल्गर बनैनाके विकल्प नइरहल बटैलै । कार्यक्रममे बारबर्दिया नगरपालिकाके नगरप्रमुख छबिलाल थारु कार्यक्रमके सफलताके शुभकामना डेटी थारुहुकनके सबसे पुरान संस्था थारु कल्याणकारिणी सभाहे समन्वय करल हुइलेसे आउर ब्यापक सहभागिता जुटाई सेक्ना सुझाव रख्लै । ठाकुरबाबा नगरपालिकाके नगरप्रमुख तिलकराम लम्साल अन्तराष्ट्रिय स्तरके प्रथम कार्यक्रम अपन पालिकामे धारके ठाकुरबाबा नगरपालिकाहे चिन्हैना सुनौलो अवसर प्राप्त करल बटैलै । कार्यक्रमहे अपने ओ पालिकाके ओरसे हरेक दृष्टिकोणसे सहयोग कैना तयार रहल बटैलै । सम्मेलनमे नेपाल तथा भारतमे बासोबास कैना थारु बुद्धिजीवि तथा थारु अगुवाहुकनके सहभागिता रहल बा । थारु समुदाय मिलके हम्रे ढेर पाई सेक्बी कना नाराके साथ ठाकुरबाबा नगरपालिका १ सिंहबाहिनी खेलमैलानमे सुरु हुइल सम्मेलनमे पहिल दिन उदघाटनके कार्यक्रम हुइल बा । दुसरा दिन थारु समुदायमे रहल टमान मेरिक सवालमे वृहत छलफल कैना कार्यक्रम रहल आयोजक जनैले बा ।   कार्यक्रमके उदघाटनमे कार्यक्रमके शुभकामना मन्तब्यसंगे थारु परम्परागत टमान मेरिक साँस्कृतिक प्रस्तुती तथा थारु राष्ट्रिय कलाकारहुक्रे अपन कलाप्रस्तुत करले बटै । थारु अन्र्तराष्ट्रिय महासभाके अध्यक्ष दीपप्रसाद नारायण थारुके सभापतित्वमे हुइल कार्यक्रममे भारत तथा नेपालके अगुवा नेता तथा बुद्धिजीविहुकनके सहभागिता रहल बा । अटवारके रोज थारु समुदायके सवालमे विविध छलफल करटी ठाकुरबाबा प्रथम अन्तराष्ट्रिय थारु सम्मेलन घोषणा पत्र जारी करटी सेक्ना आयोजक जनैले बा ।    

खिस्साः माउक डमन्ड्वा

खिस्साः माउक डमन्ड्वा

९१९ दिन अगाडि

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२४ फागुन २०७९

सोम डेमनडौरा बटास्या दश कक्षासम् पह्रल् बा । पह्र ब्याला उहिँका सब्से महान लग्ना शब्द कलक डाई रहिस् । हरेक कापी ह्वाए या पन्ना डाई लिख्ल रह । आठ कक्षा पह्र ब्याला डाई शिर्षकम निबन्ध लिख पर्ना रहिन् । ऊ डाई शिर्षकम निबन्ध लिख्क फस्ट मर्ल रह । टबसे ट झन् डाई भगवान, डाई सृष्टि, डाई संसार.....या कहि डाई जो सबकुछ । हरब्याला डाईक महानता गाए । भ्वाज करल् डु बरस पाछ रसरस डाई लिखल् पन्ना ढुह््यैटि गइल् । ऊ पन्ना पुराका पुरा मक्का गैल् । ड्वासर पन्नम झरझरसे लिख्ल रह– “म्वार जन्नी” । ऊ आपन जन्नीहँ बहुट मैया करठ् । आपन जन्नीक हर मागन पुरा करठ् ऊ, चहा पहार बिल्टाई पर । ठर्वक कन्ढा सम् बाटिस् वाकर जन्नी । टर जन्नीक आघ पुँछि हिलाइठ् बटास्या । माऊ, जेठिन्या, सरजिया, साली, साला.....हाँ अस्टहँ नाटनट्कुर पलि रठिस् वाकर घर । मिठमाठ पक्लसे सब्से पैल्ह वाकर सस्रार पुग पर्ठिस् । यदि निपुगल् कलसे बटास्यक जन्नी खटोलपाट शुरु । बटास्य फे बान पर्सेक्लिस् । लरौ साह्रे बार बजे राट्क साली फोन कर्लिस्, “दिदी, डाईक प्याट बठाईटिस् । भाटुहँ बिर्वा लेक पठाड्या ।” बटास्या हडर बडर पाइन्ट लगाक निकर्जाइठ् मेडिकलम बिर्वा लिह । बिर्वा डिह ड्वासर गाउँ पुग्जाइठ् । बटास्या जब घर पुगठ् ट राटिक डुई बजल् रहठ् । माघ ठिक हुइलक खबर सुनाइठ् । जन्नी एक चुम्मा डेठिस् । बटास्या बरा गहिँर निंड सुटठ् । ड्वासर राट वाकर डाइक दाँत बठाक जुरी आइ भिरल् रठिस् । दाँत आब चुपाई टब चुपाई कैक पिरा सहक बैठल् रठी । टर दस बजठ् बजठ् सह निसेक्ना होजैठिन् । बठ्ठक झार जुरी आजैठिन् । मन्का हनहनाई लग्ठी । हनहनाइठ् सुन्क ठर्वा मेढर्वन अन्कुस् लग्ठिन् । बटास्या बल्खिच कच्वाटहस् पुछठ्, –“का हुइटा डाई ट्वार ?” डाई ब्वाल पैल निरठि, टर्नी खपाकसे कचोट्ठी । “हिंकार जब फे अस्ट हुइटिन् । बठैहिन् चुपा रहहिन् ।” डाई– “निसेक्नाहस् लागटा छावा । बिर्वा लान्डेट्या ट ।” डाई बिन्ति कर्ठी । “अट्रा राट ट कहाँ जैहिँ ना । चिमचाम सुट रना हो । ना सुटहि ना सुट डिहीं । सिकार उकार ना खैहो ट कठुँ, आँखर आँखर चबैटि रठो । दाँत निबठाई ट का बठाई । चिमचाम सुटो । अट्रा राट कहाँ जैबो । मेडिकलक मनै फे ट निजग्ठ अट्रा जुन ।” जन्नी अट्रा कठिस् ट बटास्या फेर ओंडर जाइठ् पठ्रिम ।  

माघ टु लौव बरस हुइटो 

माघ टु लौव बरस हुइटो 

९७३ दिन अगाडि

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२९ पुष २०७९

                                             मानबहादुर चौधरी “पन्ना” माघ टु लौव बरस हुइटो  माघ टु मुक्तिक दिवस हुइटो  माघ टु सद्भावके प्रतिक हुइटो  माघ टु मेलमिलापके प्रतिक हुइटो । हरेक साल सबजन माघ मनैठ हरेक साल टुुहार नाउँम महोत्सव कर्ठ  हरेक साल टुहार नाउँम नाच, नौटङ्की कर्ठ  हरेक साल लर्कासे बुह्राइलसम लौव लुगा घल्ठ  तर, लौव जोश जाँगर हुइल ठर्या नि डेख्ठु लौव उमङ्ग उत्साह ब्वाकल बठिन्या नि डेख्ठु टुहिन लौव बरसम लौव उमङ्ग डिह नि स्याक ठुइट  मुक्ति दिवसके दिन फेन  हमार निर्डोेस डाडुभैया बन्दी बनल बनल बाट सद्भाव सहिष्णुताके रटान सरकार कर्टि रहठ  खै का कारनले सरकार हमन कर्या नजरले हेर्टि रहठ हमार हक अधिकारप्रति सद्भाव नि डेख्ठु  एक्क देशक नागरिकम फेन समानता नि डेख्ठु  हरेक बरस माघ महोत्सव मनैलक,  गीत गैलक फगट फगट डेख्ठु । ओह मार, जाट्टिक मुक्तिक डगर खोज्डेउ टु समानता, सद्भावके डगर खोज्डेउ टु थारुन दासताके नजरसे केल हेर्ठ  हमार हक अधिकारके सहर खोज्डेउ टु माघ टुहार नाउँम कत्रा मनै दुखके गीत फे गैठ माघ टुहार नाउँम कत्रा मनै खुशीक गीत फे गैठ माघ टुहार नाउँम कत्रा मनै मुक्तिक गीत फे गैठ माघ टुहार नाउँम रहरके गीत फै गैठ ।  तर,  टुहार सुग्घर गीतम फे  आधुनिकताके अश्लिल फुलकुमारी केल डेख्ठु  शब्दक अर्ठ नि बुझ्ना डिजेक ढ्वाङ्ग केल डेख्ठु  मदहोस हुइल ठर्या बठिन्न्के स्वाङ्ग केल डेख्ठु महि दुख लागठ,  म्वार पुस्ता माघमसे का सिखट ? भर्खरिक भैयाबाबु हुक्र संस्कृतिसे का सिखट ? म्वार बुडि, बुबा, नट्या, नटिनेन् का सिखाइट ? खै कहाँ कमजोरी हुइटा ? आज म्वार संस्कृति रुइटा आधुनिकताके फरिया पेहर्ख घिनलग्टिक हुइटा । काखर कि, माघ टुहार गीत मृदङ्ग ट हमार पहिचान हो  माघ टुहार नाच ट हमार चिन्हारी हो  हमार पुर्खनके सैडान हो  ओहमार माघ,  अर्जि लगाइटु, बर्जि लगाइटु  सक्कु युवा पुस्ता हुकहन गाउँबस्तीक गोची गोचा हुकहन आधुनिकताम रमैटि रलक फुलकुमारी हुकहन  सबजहन लौव जोश ओ जाँगर डेउ गीतबासके सुग्घर मागर डेउ ठुन्यार भावना ओ लौव उमङ्ग डेउ आफन हक अधिकारके लाग लर सेक्ना जङ्ग डेउ  हे मोर डाइ बाबा हे मोर बुडि बुबा हे मोर काकी काका आफन पुस्तन  असल संस्कार ओ ढङ्ग डेउ छत्रि असक जोढा विर बिरङ्गनके सङ्ग डेउ ।                                     वीनपा–२, सुर्खेत