थारु भसा साहित्य केन्द्रके अध्यक्षमे फेनसे भुलाइ चौधरी

थारु भसा साहित्य केन्द्रके अध्यक्षमे फेनसे भुलाइ चौधरी

१०३ दिन अगाडि

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१९ जेठ २०८२

डियर अविरलके पाँच गजल

डियर अविरलके पाँच गजल

११६ दिन अगाडि

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६ जेठ २०८२

डियर अविरल  जोह्न्याँ टोरैया जो अन्ढार रहट डिन नि रहट कलसे । घाम पछिउ बसेरा लेने निरह दख्खिन नि रहट कलसे ।। टुँहार मैयक् कुर्ह्ट्या लागल बा, ढक्ढिउरक खेन्ह्वम, लागट संसार चल्ने निरह मैयक बिहिन नि रहट कलसे । मही खेलौना बनासेक्लो टुँ, म्वार ढक्ढिउरा कब्जा कैक, हिरडाम राहा लग्ने निरह मैयक चिट्किन नि रहट कलसे । आज टुँहार ओ म्वार ढक्ढिउरा चाल एक्क हुइने निरह, टुँ महिन मै टुँहिन कर्ना मैगर मैयाँ गझिन नि रहट कलसे । सोच्ठु सब्से पहिल सुरु के करल हुइ मैयक टेल्वा लगाए, डुनियाँ जो बिलिट जाइट मैयक सहचिन नि रहट कलसे । 2 रुप्यक म्वाल रकट पस्ना चुवाक कमुइयन पुछहो । भुख, पियास संग निनह् मुवाक कमुइयन पुछहो ।। डु:खक् बलरुट्यम सुखक छाँही खोजुइयन हेरो, राटडिन हाठ ग्वारा आंख सुवाक कमुइयन पुछहो । केउ कठ रुप्या पैसा बरा ट केउ कठ मैगर मैयाँ बरा,  काहो बरा परड्यासम मन मुटु रुवाक कमुइयन पुछहो । घरपर्यारक मुहारम मुस्कानक बिहिन छिट्काइक लाग,  घाम्से जुझ्टी चुट्टिक पस्ना घुठ्ठी छुवाक कमुइयन पुछहो। रस्डार जवानीह् बैगुनी कग्डसे साट पर्ठा परड्यासम,  साट घट्वक पानीले आङ ढुवाक कमुइयन पुछहो । 3 बुवालाई हेर्ने नजर फेरियो रे म अरब छिरे देखी । उता गाउँघर शहर फेरियो रे म अरब छिरे देखी ।। आमा भन्दै हुनुहुन्थ्यो हाम्रो प्रगतिका पाइला देखेर, छिमेकीलाई पर्ने असर फेरियो रे म अरब छिरे देखी । आफन्त जोड्ने नि पैसा घटाउने नि पैसा आजभोलि, दुश्मनहरु हिड्ने डगर फेरियो रे म अरब छिरे देखी।  जाबो पिउनको लागि सोर्स चाहिने रिठ्ठेले भन्दै थियो, त्यो दिन देखि सफर फेरियो रे म अरब छिरे देखी। संघीयता लागुसंगै सङ्घ, प्रदेश र स्थानीय सरकारले, हाम्रो त बडा नम्बर फेरियो रे म अरब छिरे देखी।  4 हिरा, मोती, सुन भन्दा महँगो अँगार भए के होला ? मन मुटु जोख्ने तुलोको अविस्कार भए के होला ?? देशको खामो बुढो हुदा नि टुलुटुलु हेर्ने तिमी हामी, कल्पना गर्नुस् त तिम्रो मुटु नै गद्दार भए के होला ? दिनहु लाखौं युवाहरू विदेशिनुमा दोष कस्लाई दिनु, सोच्छु, आउन निषेध साउदी कतार भए के होला ? पल्ला घरे काइलीको भट्टीलाई फार्मेसी ठान्नेहरु, बिचार गर्नुस् मधुशालाहरु मधुसार भए के होला ? 5 सुटुक्क आइ बस्यो दिलमा धड्कन झै बनेर । जसरी लैलाको मज्नु, मुनाको मदन झै बनेर ।। म प्रेमिल प्यालासंग मड्होसिमा रमाइ रहदा, एकाएक तिम्रो आगमन भो सितन झै बनेर । प्रेम नगरीमा, प्रेमकै अनिकाल भइरहदा यहाँ,   तिमी आयो प्रीया अमृत रुपि रासन झै बनेर । आजभोलि औधी रमाउछु, तिम्रो आयामले जिन्दगी जिउन सुबिस्ता बनायो परठन झै बनेर । अस्ति भर्खर तिमिले नै पुर्णबिरामको घोषण गर्यो, र, त फेरि किन आउछौ सपनीमा लेपन झै बनेर ।                                         गुलरिया, बर्दिया                                         हालः दोहा, कतार 

थारु लेखक संघके पचवाँ बार्षिक साधारण सभा सम्पन्न

थारु लेखक संघके पचवाँ बार्षिक साधारण सभा सम्पन्न

१२२ दिन अगाडि

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३० वैशाख २०८२

थारु लेखक संघ, नेपालके पचवाँ बार्षिक साधारण सभा सोम्मारके रोज धनगढीमे एक कार्यक्रम बिच वैशाख २९ गते सोम्मरके निम्लज बावै । थारु लेखक नेपालके अध्यक्ष जीत बहादुर चौधरी ‘ट्रासन’के घरगोसियाइमे हुइल कार्यक्रमके बर्का पहुना वरिष्ठ साहित्यकार यज्ञराज यात्री रहल रहिट । कार्यक्रमहे सम्बोधन कैटी बर्का पहुना यात्री आपन भाषा, कला रीति संस्कृति चालचलन, रहन सहन बचैना आवश्यक रहल बटाइल रहिट । उहाँ कहलै, ‘आपन पन सबकुछ होवई, आपन‐आपन हो । ओहेमारे हम्रे आपन भाषा, कला रीति संस्कृति चालचलन, रहन सहन सक्कु चीज बचैना आवश्यक रहल बावै ।’ ओकर लाग उहाँ थारु लेखक संघ, थारु साहित्यकार, पत्रकार कलाकारहुक्रनके मुख्य जिम्मेवारी रहल फेन बटाइल रहिट । उहे बिच उहाँहे साहित्यिक क्षेत्रमे योगदान पुगाइल कहटी सम्मान करल रहे । उहाँहे थारु लेखक संघके पूर्व अध्यक्ष सीताराम चौधरी दोसल्ला प्रमाणपत्रसे सम्मान करल रहिट । कार्यक्रममे बोलुइया सक्कुजाने फेन थारु भाषा, कला, साहित्यहे बचैना जरुरी रहल बटाइल रहिट । उहाँहुक्रे थारुहुक्रनके पहिचान, इतिहास बचाइक लाग सक्कु जाने लागे पर्ना औंल्याइल रहिट । कार्यक्रमके खास पहुना तथा थारु लेखक संघके संस्थापक सदस्य माधव चौधरी, दिलबहादुर चौधरी, थारु लेखक संघके कानुनी सल्लाहकार जोहारी लाल चौधरी, प्रतिभा महिला पुरस्कारके संस्थापक चन्द्रसिंह चौधरी, कर्मशिल बचत तथा ऋण सहकारी संस्थाके अध्यक्ष रामप्रसाद चौधरी, थारु गाउँ भादा होमस्टेके अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण चौधरी, फोनिज सुदूरपश्चिम प्रदेश इन्चार्ज लखन चौधरी, फोनिज सुदूरपश्चिमके महासचिव भानुप्रताप राना, थारु लेखक संघके पूर्व उपाध्यक्ष सानु चौधरी, गायिक मनमति बखरिया, थारु चलचित्रके निर्देशक चन्द्र चौधरी चाँद लगायत शुभकामना मनतब्य राखल रहिट । उहे बिच थारु लेखक संघ नेपालके सचिव अनिल कुश्मी आव २०८१/०८२ के बार्षिक प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करल रहिट । उहाँ बार्षिक क्रियाकलाप अन्र्तगत कैलारी गाउँपालिकाके स्थानीय विषयक पुस्तक ‘हमार कैलारी’ कक्षा २ के लेखन, प्रकाशन ओ वितरण करल, धनगढीके गुरही चौकमे असराजैना गुहरी टिहवार कार्यक्रमके समन्वय सहकार्य ओ आयोजना, २०८१ साल फागुन १५ से १७ गतेसम बर्दियाके राजपुर‐२ जोतपुरमे ९औं थारु साहित्य राष्टिय सम्मेलन आयोजनाके साथे उहे कार्यक्रममे बर्दियाके सुशील चौधरीहे नगद ५० हजार शाशीके थारु साहित्य सम्मानसे पुरस्कृत ओ बेलारी नगरपालिका ७ कञ्चनपुरके सुनिता चौधरी सानुहे नगद २५ हजार राशीके प्रतिभा सशक्तिकरण पुरस्कारसे सम्मान करल जनाइल रहिट । ओस्टके उहाँ आगामी कार्य योजना अन्र्तगत थारु लेखक संघके केन्द्रीय कार्यालय धनगढीमे स्थापना कैना, मासिक साहित्यिक कार्यक्रम कैना, आजीवन सदस्य संख्या वृद्धि कैना, अइना १०औं थारु साहित्य राष्टिय सम्मेल २०८२ माघ १५ से १७ गते पर्सा जिल्लाके सुगौली पटेर्वा गाउँपालिकाके बेलवा गाउँमे कैना, विद्यार्थी साहित्य महोत्सव आयोजना कैना, थारु मौलिक बाजागाजा बजैना तालिम ओ सामाजिक कार्य ओर रक्तदान कैना कार्ययोजना रहल सुनाइल रहिट । ओस्टके थारु लेखक संघसे अब्बेसम पाँच जनहनहे थारु साहित्य सम्मानसे पुरस्कृत करल बटैलै । उहाँ कैलालीके लक्ष्मी राना, बर्दियाके शेखर दहित ओ सुशील चौधरी, दाङ देउखरके दोषहरण चौधरी ओ सुनसरीके रामसागर चौधरीहे उ पुरस्कारसे पुरस्कृत करल हो । ओस्टके प्रतिभा महिला सशक्तिकरण पुरस्कारसे दाङदेउरखके मन्जिता चौधरी, बाराके शान्ति चौधरी ओ कञ्चनपुरके सुनिता चौधरी सानु सहित ३ जनहनहे पुरस्कृत करल जनाइल बावै । ओस्टके कार्यक्रममे कोषाध्यक्ष दुर्जन कुमार चौधरी आव २०८१/०८२ के आयव्यय विवरण प्रस्तुत करल रहिट । उहाँ आठ लाख ८७ हजार १०८ रुप्या बराबरके आयव्यय प्रस्तुत करल रहिट । कार्यक्रममे थारु लेखक संघके जिल्ला कार्यसमिति सदस्य राजुराज चौधरी स्वागत करले रहिट कलेसे सञ्चालन सहसचिव दिनेश संगम करले रहिट । कैलारी अनलाइनसे

सुर्खेतमे थारु ठन्वक् उद्घाटन

सुर्खेतमे थारु ठन्वक् उद्घाटन

१४० दिन अगाडि

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१२ वैशाख २०८२

सुर्खेतके वीरेन्द्रनगर नगरपालिका–१२ पदमपुरम थारु भुइह्यार ठन्वाके नवनिर्मित भवनके घुरघुट खोलाइ कार्यक्रम वैशाख ११ गते हुइल बा ।  उ अवसरमे ठन्वाके घुरघुट खोलाइ कार्यक्रमके बर्का पहुना वीरेन्द्रनगर नगरपालिकाके वडा नं १० के अध्यक्ष एवम् कार्यवाहक नगरप्रमुख डिल बहादुर रखाल कहल,₋ थारु समुदायके धार्मिक सांस्कृतिक पक्षसे जोरगिल ठन्वा निर्माण कार्यले संस्कृति जगेर्नाम एकठो इटा ठप्गिल ।  थारु पूजापाठ रीतिरिवाजके पुनर्जागरण हुइना हुइलक ओहर्से थारु समाजम एकठो लौव सन्देश जैने बा । ओसहख वडा नं १२ के वडा अध्यक्ष चुडामणि चपाईँ वडाके सहयोगम बन्लक ठन्वा निर्माणम नगरपालिका ओ वडा कैक करिव सवा पाँच लाख खर्च हुइल जनैल ।  कार्यक्रमम लखागिन थारु उत्थान मञ्च, सुर्खेतके अध्यक्ष एवम् थारु साहित्यकार मान बहादुर चौधरी ‘पन्ना’ कल₋ भुइह्यार ठन्वा थारुनके मूल संस्कृति हो । ठन्वा थारुन जोर्ना पुल हो, ठन्वा धार्मिक एकताके प्रतीक किल नाहि कि जीवनपद्धतिसे जोरगिल मैगर संस्कृति हो । यकर संरक्षण संवर्धन हुइना बहुत जरुरी बा । उहाँ ठन्वा निर्माण किल महत्वपूर्ण निहो, ठन्वाम कैजिना पूजापाठ ढुरेरी, हरेरी पूजा, मार मिन्ही नियमित कर्ना चुनौती रलक ओर्से पूजापाठके विधिह नियमित करपर्ना सुझाउ डेल ।  कार्यक्रमम थारु कल्याणकारिणी सभाके केन्द्रीय पार्षद कृष्ण बहादुर चौधरी, जिल्ला  सभापति अध्यक्ष बेचुलाल चौधरी, पदमपुरके समाजसेवी लालबहादुर चौधरी लगायतके वक्ता हुक्र ठन्वा निर्माणले सुर्खेती थारु समुदायमा एकठा असल पाठ सिखैलक धारणा व्यक्त कर्ल । ठन्वा निर्माण समितिके अध्यक्ष एवम् पदमपुर गाउँके महटावा दुर्ग बहादुर थारु ₋ पदमपुर गाउँम विगत २०७८ सालठेसे नियमित रुपम मारमिन्ही, ढुरेरी, हरेरी पूजा करैटि अइलक बात ढर्ल । करिब ३ बरस बर्दियासे गुरुवा लान्खन पूजा कैगिल कलसे हाल सुर्खेतम जो गुरुवा व्यवस्था कैगिल जनैल ।  कार्यक्रमम मेरमेरिक थारु नाच फे डेखा गिल रह । 

माघ मनैबी

माघ मनैबी

२४३ दिन अगाडि

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२८ पुष २०८१

- लब्लिन क्यानभास बन्वा जैबी काठी कर्बी माघ मनैबी । सुंग्रा कट्बी मच्छी मर्बी माघ मनैबी ।। भक्री फोर्बी झ्वार निटर्बी माघ मनैबी ।। धुम्रु गैबी ठेङ्ग्रा बर्बी माघ मनैबी ।। कोर्बी गैजी ओ तरुल् लाग्खेन दिनभर, सन्झ्या रातके ढिक्री पर्बी माघ मनैबी ।। उठ्के बिन्हे जैबी ट्ल्वा सब लहाए, डुब्की मार्के पैंसा गर्बी माघ मनैबी ।। डाइ पार्दे ठिक्क चाउर, न्वान उरुद ट, आके निस्राऊ कहर्बी माघ मनैबी ।। छोटी छोटी जे बा ढ्वाग लागि बर्कन, हम्रे बर्का दान डर्बी माघ मनैबी ।। भर्वा टाङ्के जैबी निस्राऊ डिहे ना, छोरी चेलिक् मान ढर्बी माघ मनैबी ।। गाउँ घर घर जाके नाची खोरी कैके, रुप्या मल्किन्या से झर्बी माघ मनैबी ।। काल पुर्खा आज हम्रे कर्टी लर्का, पुस्ता पुस्ता रीति सर्बी माघ मनैबी ।।                                        दाङ

लखागिन थारु साहित्यके छैठौँ श्रृङ्खला निम्जल

लखागिन थारु साहित्यके छैठौँ श्रृङ्खला निम्जल

२७१ दिन अगाडि

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३० मंसिर २०८१

सुर्खेतके वीरेन्द्रनगर नगरपालिकामा लखागिन थारु साहित्यके छैठौँ श्रृङ्खला निम्जल बा । लखागिन थारु उत्थान मञ्च, सुर्खेतके अध्यक्ष मान बहादुर चौधरी ‘पन्ना’के  घरगोस्याइ ओ थारु युवा सभाके अध्यक्ष पवन कुमार थारुके बर्का पहुनाइम कार्यक्रम निम्जलक हो । कार्यक्रमम स्रष्टाहुकनसे आ आपन कविता, गजल, ओ मुक्तकके संगसंगे माँगर, ढुमरु गीतफे प्रस्तुत कैगिल । कार्यक्रमम कवि मान बहादुर चौधरी पन्ना, लक्ष्मण चौधरी, गिटु चौधरी, जेबी डेमनडौरा, सलिन चौधरी  लगायतके स्रष्टाहुक्र रचना वाचन कर्ल रलह । कार्यक्रमम माघम गा जिना ढुमरु गित क्रिमलाल चौधरी गैल रलह । माँगर गित मानबिर थारु गैल रलह ।  कार्यक्रमके घरगोस्या मान बहादुर चौधरी ‘पन्ना’ कल₋ भाषा साहित्य जीवनके अभिन्न पाटो हो । यम रुचि जगाइक लाग श्रृङ्खलाके सुरुवात कैगिलक हो । आपन भाषा साहित्य, कला संस्कृतिके संरक्षण करक लाग एक्कले लाग्खन किल सम्भव नैहो । सबजन जुट पर्ना हुइलक ओहर्से लौव पिँढीक युवा युवतिन जोर्ना पुलके रुपम आघ बह्राइक लाग कार्यक्रमह निरनतरता डेटि बाटि ।’  कार्यक्रमम बर्का पहुना पवन कुमार थारु कल₋ थारु भाषा साहित्य श्रृङ्खलाले लौव ओ पुरान पुस्ता जोरजिना हुइलक कारन आपन कला संस्कृति बुझना मजा प्लेटफर्म हो । उहाँ असिन मेरके कार्यक्रम सुर्खेत जिल्लाके गाउँ गाउँम फे ढर पर्ना सुझाउ डेल । वास्तवम हमार कला संस्कृतिके बल्गर पाटो भाषा हो । सुर्खेतके स्रष्टा हुकनक गीत बास, बट्कुहि प्रकाशनके लाग फे सहयोग कर्ना बटोइल ।  कार्यक्रमम समाजसेवी पुर्खा मानबिर थारु असिन कार्यक्रमले लर्कन् हौसला बहर्ना, गित बास लिख्ना अभ्यास फे हुइना हुइलक ओहर्से अहमिन ढेर युवा लर्कन जोर पर्ना सुझाव डेल । कार्यक्रमके सञ्चालन साहित्यकार जेबी डेमनडौरा कर्ल रलह ।   

असौंक डस्या कसिक मनैना ?

असौंक डस्या कसिक मनैना ?

३४० दिन अगाडि

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२१ असोज २०८१

सामाजिक सञ्जालमे असौंक डस्या कसिक मनैना कहिके मेरमेरिक विद्वान आअपन विचार ढैटि बटाँ । इहे क्रममे डा गोपाल दहित असौंक डस्या मनैना तालिका डेले बटाँ (हेरि फोटुसंगे रहल तालिका) । इहे सिलसिलामे यहाँ दिलबहादुर थारू ओ चूर्ण चौधरी थप दुइ विद्वानके विचार ढै गैल बा । सबजे उज्जर टीका लगाई दिलबहादुर थारू  संयोजक, थारू नागरिक समाज, कैलाली  थारू समाजमे दशैंक अपने महत्व बा । सब दिनके अपन महत्व बा । मने सप्तमी, अष्टमी, नवमी ओ दशमीक कुछ ढेर महत्व बा । ओम्ने फे सबसे ढेर नवमीक महत्व बा । का करे कि नवमीक दिन हमरे पुर्खन भात डेठी अथवा कही कि नवमी हमार पुर्खनके श्राद्ध तिथी हो । बिहानके पिट्टर भात डेना ओ साँझके घरे नेउटल पितृदेउटन नाचगानासहित बिदाई कर्ना अस्रैना दिन हो ।  टबेमारे अष्टमी, नवमी अक्के डिन पर्लेसे अष्टमीहे आगे टस्कैना चाही । नवमी ओ दशमी अक्के डिन पर्लेसे दशमीहे पाछे सर्ना, टस्कैना चाही । यी साल अष्टमी ओ नवमी सँगे परल बा । टबेमारे अष्टमीहे आगे टस्कैले मजा रही । टस्कैलेसे यी साल (२०८१) हमार दशैं अइसिक रहीः  २३ गते पैनस टोपी ढोई ओ साँझके पुर्खन नेउटी  २४ गते ढिक्री चरहाई २५ गते पिट्टर भात दी  २६ गते टीका लगाई, उ फे सबजे उज्जर टीका लगाई धार्मिक मान्यता अनुसार डश्या पुजा पुजी  चूर्ण चौधरी,  केन्द्रीय कोषाध्यक्ष, थारू कल्याणकारिणी सभा  म्वार विचार म पुर्खासे मन्टी अइलक धार्मिक मान्यता, रिति थिति, चलन ओ अभ्यास म हम्र बर्का डश्याम सप्तमी के दिन ढक्या ओ पैनस्टोपी गंगाम च्वाखा कराइक लाग ढ्वाए जैठी । यी सर्वमान्य संस्थागत चलन ओ अभ्यास बा । यी बर्षक (२०८१) सप्तमी ह असोज २४ से असोज २३ म सरना सायद उपयुक्त नि हुइ । हम्र महा अष्टमी म जैह्या फे सन्झ्याख ढिक्री (कौनो थर क थारू मुर्गी फे) पुज्ना यी संस्थागत हुइल चलन, अभ्यास ओ सर्वमान्य धार्मिक मान्यता बा । ओ महानवमी म बिशेष कैख विहान ख मुर्गी पुज्ना ओ आपन पुर्खन पिट्टर डेना धार्मिक ओ संस्थागत मान्यता बा । यी वर्षके २०८१ क बर्का डश्या म महा अष्टमी ओ महा नवमी तिथि (असोज २५ गते) एक्कम मिलल बा कलसे महा अष्टमी क दिन  उहो २५ गते जो पुर्खा से चल्टी अइलक आपन तिथिम जो आपन आपन चलन, रितिथिति, अभ्यास ओ धार्मिक मान्यता अनुसार डश्या पुजा पुजी । ओ महा नवमी म कर्ना पुजा विजया दशमी असोज २६ गते क दिन शुभ साइत म कर्लसे जो टनिक धार्मिक विधि बिधान ओ महत्व हुइ कना म्वार सोच ओ बिचार बा। ओहमार २०८१ असोज २४ गतेः सप्तमीम गंगा म पैनस्टोपी धुइना । २०८१ असोज २५ गतेः महाअष्टमी म सन्झ्याक आपन आपन चलन अनुसार ढिक्री (कौनो थारू थर मुर्गी फे) पुज्ना । २०८१ असोज २६ गतेः विजया दशमी अर्थात बिजयी प्राप्त कर्लक शुभ साइत क दिन म विहान सक्कार मुर्गी पुज्ना वलि देना ओ आपन आपन पुर्खन क सम्झना म पिट्टर डेना उत्तम साइत हो । ओ यह दिन हमार बर्का डश्यक टिका के शुभ साइत रहि । संसारी गँवल्या टीका ब्यबस्थित तरिकासे उज्जर रहि ट आपन धर्म, संस्कार ओ पहिचान रही ।