दिपक चौधरी ‘असीम’
कब कहाँ कह्या ओराइ जिन्गि मोर सोंच्टि बटुँ मै।
हर कडम यहाँ समस्यासे लर्टि जिन्गि कट्टि बटुँ मै।
खै कौन कलमसे कौन डिन भाग्य लिखल बिढाटा फेँ,
कहुँ सुख नै लिखल् मोर डुखक आँस पोंछ्टि बटुँ मै।
कबु सोडेस कबु बिडेस स्ठाइ रुपसे बसोबास नै हो,
कबु घरबास कबु परबासके बिच डगर नेग्टि बटुँ मै।
घर परिवार इस्ट मित्र सक्कुजे कह्ठैं कब सम जैबि,
आनक डेस श्रम बेँचे कुछ कर्ना सपना डेख्टि बटुँ मै।
गरिबन्के सपना सपना रैह्जाइट् कबु सफल नै हुइट्,
टबु फेन सपना डेखक् नै छोर्के जिन्गिसे लर्टि बटुँ मै।
कैलारी–२ बसौटी, कैलाली
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