एक तुफानी राइत मे, एक ईसाई पादरी आपन गिरजाघर मे प्रार्थना कैर रहल छेलै । तख्निए एक गैरईसाई स्त्री ओकर पास आईब के पुछे लाग्लै,“हम ईसाई धरम नै मानै चियै । कि हमरा नरक के अनिष्ट से मुक्ति मिल सकैछै ?”
पादरी वइ महिला के ध्यानपूर्वक देखल्कै आ ई कैहत उत्तर देलकै, “नै कदापि नै, ईसाई धरम के अनुसार मुक्ति केवल ओकरेटा मिलतै जेकर शरीर और आत्मा के शुद्धिकरण कैरके बपतिस्मा दीक्षा द्याल गेल्छै ।”
जखिनए पादरी एहेन शब्द कहल्कै, तखिनए गिरजाघर पर आकाश से तेज गर्जना के साथ बज्जर गिरलै आ ओई गिरजाघर मे आइग लाईग गेलै ।
शहर के लोगसब दौडैत भागैत एलै आ वइ महिला के बचा लेलकै, महज पादरी के आग के दर्दनाक ग्रास से कोइयो नै बचा सकल्कै ।
७ अक्टोवर २०१९
सप्तरी, नेपाल, हालः साज, बाहिया, ब्राजिल
मूल लेखक— खलील जिब्रान
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